महाशिवरात्रि पर बन रहे ये संयोग
8 मार्च को महाशिवरात्रि वाले दिन शिव योग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग का संयोग हो रहा है। इस दिन कुम्भ राशि पर शनि मूल त्रिकोण में बैठे हैं। इसके साथ सूर्य, चंद्रमा और शुक्र भी विराजमान हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी है। ऐसे में यह अद्भुत संयोग विशेष फलदायी है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से कई गुना फल मिलेगा। इस बार महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत का संयोग एक साथ बन रहा है, इसलिए यह व्रत सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला होगा। इस व्रत को करने से जीवन में किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं रहता है। इस दिन व्रत रखने से महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत का लाभ एक साथ प्राप्त होगा।
क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत रखने के पीछे कई कारण हैं, प्रदोष काल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। इस काल में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने का एक उत्तम तरीका है। इस व्रत को रखने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है, पापों से मुक्ति मिलती है, और ग्रहों की शांति होती है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। कहा जाता है की प्रदोष व्रत आत्म-संयम और आध्यात्मिक उन्नति का एक साधन है। इस व्रत को रखने से मन शांत और एकाग्र होता है, और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत भक्तों को आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है। प्रदोष व्रत से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस व्रत को रखने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और मन प्रसन्न रहता है। प्रदोष व्रत जीवन में सुख, समृद्धि, और वैभव लाता है।
प्रदोष व्रत रखने के लाभ
धार्मिक लाभ
प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक उत्तम साधन है। इस व्रत को रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत रखने से ग्रहों की शांति होती है और कुंडली में उपस्थित दोष दूर होते हैं।
भौतिक लाभ
प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है। प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह व्रत रखने से शिक्षा और करियर में सफलता प्राप्त होती है।
मानसिक लाभ
प्रदोष व्रत रखने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह व्रत रखने से नकारात्मक विचारों से मुक्ति प्राप्त होती है और सकारात्मक सोच विकसित होती है। इसके अलावा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होता है।
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प्रदोष व्रत की विधि
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से पूजा करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। फल, फूल, मिठाई, आदि का भोग लगाएं। प्रदोष काल में भगवान शिव की आरती करें। रात्रि जागरण करें और शिव भक्ति में लीन रहें। अगले दिन सुबह स्नान करके व्रत का पारण करें। सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष और शिवरात्रि का संगम होने से मनुष्य के जीवन में सुख शान्ति की अमृत की वर्षा होती है। इस पावन दिन गृहस्थ जीवन को प्रेम, सौहार्द, समन्वय, सामंजस्य के लिये 5-5 बेलपत्र पति-पत्नी को भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए। (एएमएपी)