केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी लेवल पर शैक्षणिक ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि सीबीएसई बोर्ड के प्रस्ताव के मुताबिक 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पांच की बजाय 10 विषयों के पेपर देने होंगे। उन्हें अकादमिक सत्र के दौरान दो की जगह तीन भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें अनिवार्य तौर पर दो भारतीय भाषाएं होंगी। 7 अन्य विषय होंगे। इसी तरह कक्षा 12वीं में विद्यार्थियों को एक की बजाय दो भाषाएं पढ़नी होंगी जिसमें एक भारतीय भाषा होना अनिवार्य होगा। प्रस्ताव के मुताबिक उन्हें छह विषयों में पास होना होगा। वर्तमान में कक्षा 10वीं और 12वीं में पांच-पांच विषयों में पास होना होता है। आगामी सत्र से छात्रों को जेईई की तर्ज पर दो बार बोर्ड परीक्षा का मौका मिलेगा। 

स्कूलों को इस संबंध में सीबीएसई बोर्ड ने लिखा पत्र

सीबीएसई बोर्ड की ओर से अपने मान्यता प्राप्त स्कूलों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। सीबीएसई बोर्ड एनईपी 2020 के तहत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रारूप के तहत आगामी सत्र से शैक्षणिक ढांचे में बदलाव कर रहा है। मौजूदा समय में कक्षा 10 में क्रेडिट आधारित प्रणाली के तहत छात्रों को पांच विषयों (दो भाषाओं के साथ तीन विषय ) की पढ़ाई करनी होती है, जिसमें गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शामिल है। लेकिन इसमें बदलाव करते हुए अगले सत्र से 10 विषयों (सात मुख्य विषय और तीन भाषा) की पढ़ाई करनी होगी। तीन भाषाओं में से दो भारतीय भाषा की पढ़ाई करनी जरूरी होगी। जबकि अन्य विषयों में गणित और कम्यूटेशनल थिंकिंग यानी कंप्यूटर वैज्ञानिकों की तरह सोचना, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा और पर्यावरण शिक्षा समेत सात प्रमुख विषय हैं।

वहीं, कक्षा 11वीं और 12वीं में मौजूदा समय में छात्र पांच विषयों (एक भाषा और चार ऐच्छिक विषय) की पढ़ाई करते हैं। जबकि कुछ छात्र ऐच्छिक रूप से छह विषय भी पढ़ते हैं, जिसमें एक भाषा और पांच ऐच्छिक विषय होते हैं। लेकिन आगामी सत्र से छात्रों को छह विषय (दो भाषा और चार विषय) की पढ़ाई अनिवार्य रहेगी। इसमें दो भाषा में से एक भारतीय भाषा होनी जरूरी होगी।

स्कूलों में पहली बार क्रेडिट सिस्टम

आगामी सत्र से पहली बार स्कूलों में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत क्रेडिट सिस्टम से पढ़ाई होगी। अभी तक सालभर की परीक्षा के आधार पर अंक मिलते हैं, उसी के आधार पर पास या फेल लिखा होता है। कक्षा 12वीं से लेकर छठीं कक्षा तक सालाना 1200 घंटे की पढ़ाई जरूरी होगी। जबकि पांचवीं में 1000 घंटे और चौथी से लेकर प्री-स्कूल तक सालाना 800 घंटे की पढ़ाई करनी होगी। इसके अलावा कक्षा 12वीं से लेकर छठीं कक्षा तक सालाना 40 क्रेडिट अर्जित करने होंगे। जबकि पांचवीं से तीसरी कक्षा तक 30 क्रेडिट और दूसरी कक्षा से प्री-स्कूल 27 -27 क्रेडिट लेने होंगे। कक्षा में 75 फीसदी हाजिरी अनिवार्य रहेगी। यदि कोई छात्र 30 घंटे की पढ़ाई करेगा तो उसे एक क्रेडिट अर्जित होगा। कक्षा में एक पीरियड 45 मिनट का रहेगा।

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कक्षा दूसरी तक परीक्षा नहीं

एनईपी के तहत तीन से आठ साल तक की आयु के छात्रों का मूल्यांकन पारंपरिक परीक्षा के माध्यम से नहीं होगा। छात्रों के क्लासरूम में लिखने-पढ़ने, सीखने और खेल आदि के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को भाषा विषय में अब अपनी मातृभाषा में पढ़ने का मौका मिलेगा। दूसरी कक्षा के छात्रों के स्कूल बैग में सिर्फ गणित और भाषा की किताब होंगी। इसके अलावा कक्षा में गतिविधियों के माध्यम से बच्चे खेलकूद, वीडियो, संगीत, कहानी बोलने-लिखने, व्यवहार, उम्र के आधार पर लिखने-पढ़ने-समझने की क्षमता सीखेंगे और उसी का मूल्यांकन होगा।

प्री स्कूल, नर्सरी, लोअर केजी, अपर प्रेप, प्री -प्राइमरी, केजी व अपर केजी की जगह बालवाटिका एक, दो और तीन होगा। बालवाटिका के लिए भी एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम तैयार किया हुआ है। इसमें बालवाटिका एक, दो और तीन के छात्रों के लिए कोई स्कूल बैग और किताब नहीं होगी।(एएमएपी)