दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट वर्ष 2025 तक 20 लाख से अधिक भारतीयों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के कौशल में दक्ष बनाने का प्रशिक्षण देगी। माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्या नडेला ने बुधवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान यह ऐलान किया। नडेला एआई पर अमेरिका और भारत के बीच सहयोग से जुड़े एक सवाल पर कहा कि माइक्रोसॉफ्ट वर्ष 2025 तक भारत में 20 लाख लोगों को एआई में दक्ष बनने के अवसर मुहैया कराएगी। गौरतलब है कि भारत में जन्मे सत्या नाडेला दो दिन के लिए देश के दौरे पर आए हैं। वे साल में एक बार भारत की यात्रा पर आते हैं।उन्होंने भारत को उच्च वृद्धि दर वाले बाजारों में से एक बताते हुए कहा कि एआई देश में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को गति देने में मदद कर सकती है। उन्होंने इस अवसर पर एआई से संबंधित नियमों और अन्य मानदंडों पर भारत और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ाने की वकालत भी की। भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए नडेला ने कहा कि मुझे लगता है कि खास तौर पर भारत और अमेरिका के लिए यह जरूरी है कि वे इस पर सहयोग करने में सक्षम हों और संबंधित मानदंडों एवं नियमों को तय करें। उन्होंने कहा कि एआई पर भारत और अमेरिका के बीच व्यापक साझेदारी से आर्थिक वृद्धि के समान वितरण में भी मदद मिल सकती है।

दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला मार्केट है भारत

सीईओ सत्या नाडेला में कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार है। सरकार और आप सभी की काफी ज्यादा महत्वाकांक्षाएं हैं कि 2025 तक क्या होने वाला है और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की ग्रोथ का कितना प्रतिशत एआई से आएगा, तो यह हमारे लिए ट्रैकिंग के लायक होगा। सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए नाडेला ने कहा कि भारत की जीडीपी 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (5 लाख करोड़ डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें से 500 बिलियन डॉलर (अरब डॉलर) का योगदान एआई करेगी।

ग्रेजुएशन के बाद नौकरी नहीं ये कोर्स चुने युवा, आसानी से मिलेगी जॉब

एआई को लेकर भारत-अमेरिका में फर्क नहीं

माइक्रोसॉफ्ट सीईओ ने एआई को लेकर भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी की दुनिया में चार बड़े बदलाव हुए – पर्सनल कंप्यूटर, क्लाइंट सर्वर, इंटरनेट और मोबाइल और क्लाउड – लेकिन एआई को अपनाने में भारत और दुनिया के बीच शायद ही, न के बराबर कोई अंतर है। नाडेला ने कहा कि यह पहली बार है जब मुझे लगता है कि भारत और बाकी दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें कोई रुकावट या अंतर नहीं है…। भारत में एआई के उपयोग को लेकर दिलचस्प बात यह है कि हम सिर्फ एआई पर बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि एआई का विस्तार भी कर रहे हैं।(एएमएपी)