अजय विद्युत।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ढाकेश्वरी देवी का मंदिर वहां का सबसे प्रमुख मंदिर है। इसे बांग्लादेश के राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा दिया गया है। ‘ढाकेश्वरी’ का अर्थ ‘ढाका की देवी’ होता है और बांग्लादेश में हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में जाना जाता है। विभाजन से पहले तक ढाकेश्वरी देवी मंदिर संपूर्ण भारत के शक्तिपूजक समाज के लिए आस्था का बहुत बड़ा केंद्र रहा है।
12वीं शताब्दी में सेन राजवंश के बल्लाल सेन ने ढाकेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण करवाया था। प्रचलित कथाओं के अनुसार ढाकेश्वरी देवी के कारण ही इस स्थान का नाम ढाका पड़ा। ढाकेश्वरी पीठ की गिनती शक्तिपीठ में की जाती है क्योंकि यहां पर सती के आभूषण गिरे थे।
राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा
इसे बांग्लादेश की सरकार ने राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा दिया है। विभाजन से पहले तक ढाकेश्वरी देवी मंदिर संपूर्ण भारत के शक्तिपूजक समाज के लिए आस्था का बहुत बड़ा केंद्र था। 1971 में पाकिस्तान सेना द्वारा रामना काली मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद इसे बांग्लादेश का सबसे प्रतिष्ठित मंदिर माना जाता है। ढाकेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन राजवंश के बल्लाल सेन ने करवाया था। कई लोगों की मान्यता है कि ढाकेश्वरी देवी के कारण ही इस नाम का ढाका पड़ा। ढाकेश्वरी पीठ की गिनती शक्तिपीठ में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर सती के आभूषण गिरे थे।
बाग्लादेशी झंडे का ध्वजारोहण
1989-90 में इस मंदिर पर भीड़ ने भीषण आक्रमण किया था। 1996 में ढाकेश्वरी मंदिर को ढाकेश्वरी जातीय मंदिर का नाम दे दिया गया। इसका उद्देश्य मंदिर को राष्ट्रीय मंदिर घोषित करना था। 1988 में बांग्लादेश को इस्लामी राज्य घोषित किए जाने के बाद हिंदू धर्मावलंबियों ने इस मंदिर को राष्ट्रीय मंदिर घोषित करने की मांग की। इसी कारण प्रतिदिन सुबह मंदिर के सामने बाग्लादेशी झंडे का ध्वजारोहण किया जाता है।
बांग्लादेशी हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल
1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस मंदिर को भारी नुकसान पहुंचाया और मंदिर के आधे से अधिक हिस्से को तबाह कर दिया। पाकिस्तानी सेना ने मंदिर के गर्भगृह का उपयोग शस्त्रागार के रूप में किया। अब यह मंदिर बांग्लादेशी हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया है।
अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मंदिर की यात्रा की थी और यहां पूजा–अर्चना की। इससे यह मंदिर एक बार फिर से दुनिया में सुर्खियों में आ गया। उनकी यात्रा से कुछ समय पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी बांग्लादेश यात्रा पर गई थीं। उन्होंने भी ढाकेश्वरी मंदिर पर जाकर पूजा–अर्चना की थी।