(29 मार्च पर विशेष)
जिस तरह मिस्र में शासक की मौत होने पर पिरामिड बनाए जाते थे, उसी तरह चीन में शासक की कब्र की रक्षा के लिए सैनिक तैनात किए जाते थे। 210-209 ईसा पूर्व में चीन के राजा किन शी हुआंग की मौत के बाद पकी मिट्टी से यह सैनिक बनाए गए थे। उद्देश्य था कि ये सैनिक मौत के बाद भी राजा की सुरक्षा करेंगे। इस सेना के आदमकद पुतलों के सिर, हाथ-पैर और धड़ अलग-अलग बनाए गए और फिर उन्हें जोड़ा गया। जोड़ने से पहले आग में तपाते थे। यह पुतले इतने सजीव हैं कि देखने पर लगेगा कि अभी जी उठेंगे।
कब्र के सामने एक हॉल था, जिसमें यह सैनिक खड़े थे। सैनिकों के साथ उनके घोड़े, दफ्तर और अन्य लोगों के रहने के घर भी थे। सेना का साजो-सामान तांबे, टिन और अलग-अलग धातुओं का है। यह भी बताया जाता है कि इन सैनिकों के कई मूल हथियारों को उनके बनाने के कुछ ही दिन बाद लूट लिया गया था।
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23 फुट गहरे चार गड्ढों में यह सेना खड़ी है। 230 मीटर लंबे और करीब 62 मीटर चौड़े पहले गड्ढे में 6000 पुतले हैं। 11 गलियारे हैं जो 3-3 मीटर चौड़े हैं। लकड़ी से बनी इनकी छत को बारिश से बचाने के लिए मिट्टी की परतों को विशेष उपाय के साथ चढ़ाया गया है। अन्य गड्ढों में घुड़सवार और युद्ध में काम आने वाली गाड़ियां हैं।(एएमएपी)