(28 मार्च पर विशेष)

देश-दुनिया के इतिहास में 28 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत के संदर्भ में बैडमिंटन के लिए सबसे खास है। इसका श्रेय जाता है साइना नेहवाल को। वह ऐसी शटलर हैं, जिन्होंने कई कीर्तिमान रचे। वह भारत की पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता। साथ ही 28 मार्च 2015 को बैडमिंटन में चाइना के दबदबे को खत्म कर दुनिया की नंबर-1 शटलर बनीं। उनकी जिंदगी पर बॉयोपिक रिलीज हो चुकी है। इसमें परिणीति चोपड़ा ने साइना का किरदार निभाया है।17 मार्च 1990 को जन्मी इस शटलर ने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, जब उनका परिवार हरियाणा से हैदराबाद आ गया था। साइना को बैडमिंटन विरासत में मिला। उनकी मां स्टेट लेवल बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं। शुरुआत में हैदराबाद में भाषा को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 2008 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप जीतकर साइना ने बता दिया था कि वह बड़ी उपलब्धियां हासिल करने का दम रखती हैं। उसी साल उन्होंने बीजिंग ओलंपिक खेलों के लिए भी क्वालिफाई किया। क्वार्टर फाइनल तक पहुंचकर उन्होंने ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया। इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन युलियांटी से हारने से पहले उन्होंने दुनिया की पांचवें नंबर की खिलाड़ी और चौथी वरीयता प्राप्त हांगकांग की वांग चेन को हराया।

साइना नेहवाल सबके भरोसे पर खरी उतरी हैं। उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ओलिंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद साइना को वह आत्मविश्वास मिला, जिसकी उन्हें जरूरत थी। अगले दो वर्षों में उन्होंने बैडमिंटन जगत में धमाल मचा दिया। उन्होंने बीडब्ल्यूएफ हांगकांग ओपन, सिंगापुर ओपन और इंडोनेशिया ओपन का खिताब जीता। 2011 के बेहतरीन साल के बाद साइना नेहवाल ने 2012 में लंदन ओलिंपिक का कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। साइना ने अगले तीन वर्ष में ऑस्ट्रेलियन ओपन, दो बार इंडिया ओपन और चाइना ओपन जीता।

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2015 में साइना नेहवाल ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने के करीब पहुंचीं पर संघर्ष पूर्ण मैच में कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा। 2015 में ही साइना दुनिया की नंबर-1 महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। यह उपलब्धि उनसे पहले किसी भारतीय महिला खिलाड़ी ने हासिल नहीं की थी। प्रकाश पादुकोण जरूर पुरुष वर्ग में दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी हो चुके हैं। 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का गोल्ड जीतने वाली साइना ने 2018 में फिर कामयाबी हासिल की। अपने 12 साल के करिअर में साइना ने 24 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते, जिनमें 11 सुपर सीरीज खिताब शामिल हैं। वह ओलिंपिक, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप के प्रत्येक इवेंट में कम से कम एक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय शटलर हैं।(एएमएपी)