राजगढ़ से दिग्विजय सिंह और विदिशा से शिवराज सिंह चौहान चुनावी मैदान में

मध्य प्रदेश में 1998 के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए दो पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में हैं। कांग्रेस ने राजगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को टिकट दिया है तो बीजेपी ने विदिशा से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में 7 मई को तीसरे चरण में वोटिंग है। पिछले 26 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब राज्य के दो-दो मुख्यमंत्री एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले साल 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने चुनाव लड़ा था। उस साल हुए चुनावों में लड़ने वाले दोनों पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार गए थे। एक बार फिर से दोनों पार्टियों ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारा है।विदिशा लोकसभा सीट से उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। कुल मिलाकर उनका शासन 17 वर्षों से अधिक रहा है। वहीं, दिग्विजय सिंह भी दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने 10 सालों तक एमपी में शासन किया है। 1998 वाले लोकसभा चुनाव में दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की हार हो गई थी। अब इस बार नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।

26 साल पहले भी मैदान में थे 2 पूर्व मुख्यमंत्री

आज से 26 साल पहले 1998 के लोकसभा चुनावों में भी राज्य के दो मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा ने छिंदवाड़ा से कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में पटवा को हार मिली थी। कमलनाथ ने पटवा को डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। इसी चुनाव में राज्य के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह राज्य की होशंगाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के सरताज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में सरताज सिंह ने अर्जुन सिंह को 68 हजार वोटों से शिकस्त दी थी।

भाजपा का गढ़ है विदिशा लोकसभा सीट

शुरुआत में दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह दोनों ही दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे। बाद में पार्टी ने टिकट दिया और अब दोनों पूर्व सीएम प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। विदिशा लोकसभा सीट की बात करें तो यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस सीट से भाजपा का कोई भी नेता चुनाव लड़े तो वह जीत जाता है। जबकि राज्य की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट लगातार कांग्रेस के कब्जे में रही है।

शिवराज सिंह चौहान को विदिशा क्यों?

राज्य बीजेपी के एक नेता ने इसके पीछे तर्क दिया कि पार्टी ने अभी-अभी राज्य के मुख्यमंत्री को बदला है। मोहन यादव अभी भी राजनीति के बुनियादी सिद्धांतों को सीख रहे हैं जो एक मुख्यमंत्री के लिए जानना जरूरी है। इन परिस्थितियों में पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को एक सुरक्षित सीट दी है। इससे वह राज्य की 28 अन्य सीटों पर प्रचार के लिए स्वतंत्र होंगे। पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए एमपी में स्टार प्रचारक भी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ अनुभवी नेता भानु प्रताप शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है क्योंकि वह यहां के सांसद रह चुके हैं।

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राजगढ़ से दिग्विजय सिंह को क्‍यों उतारा ?

राजगढ़ लोकसभा सीट पर 32 साल बाद दिग्विजय सिंह की वापसी हुई है। वह 1984 में यहां से पहली बार सांसद चुने गए थे। 1989 में चुनाव हार गए और 1991 में फिर से चुन लिए गए। इसके बाद 1993 में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री चुन लिए तो उन्होंने यह सीट छोड़ दी। इसके बाद उनके भाई लक्ष्मण सिंह उपचुनाव में जीत गए। लक्ष्मण सिंह इस सीट से तीन बार सांसद रहे। एक बार वह बीजेपी में भी गए। 2014 और 2019 में इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार रोडमल नागर को जीत मिली है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ भी वहीं उम्मीदवार हैं।(एएमएपी)