अजय विद्युत।
दुर्गा चालीसा में उल्लेख मिलता है-
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी।।
जब सती के शव को लेकर भगवान शिव तांडव कर रहे थे और किसी भी प्रकार उन्हें सती के शव से अलग करना संभव नहीं लग रहा था तो उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के शरीर के अंगों को काटना शुरू किया। सती के अंग जिन जिन स्थानों पर पड़े वे शक्तिपीठ के नाम से जाने गए। इसी प्रकार का एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ हिंगलाज भी है।
हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर है। यह ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र हिंगलाज में स्थित मंदिर है। इक्यावन शक्तिपीठ में से एक इस मंदिर के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहां उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।
इस मंदिर में भगवान राम ने भी दर्शन किए थे। उनके अलावा गुरु गोरखनाथ, गुरुनानक देव, दादा मखान जैसे आध्यात्मिक संत भी यहां आ चुके हैं। नवरात्रि में सिंध-कराची से हजारों हिंदू 500 किमी तक की पैदल यात्रा करके यहां आते हैं।
एक लोककथा यह भी
हिंगलाज चारणों की प्रथम कुलदेवी थीं। उनका निवास स्थान पाकिस्तान के बलूचिस्थान में था। हिंगलाज देवी से सम्बन्धित कुछ छंद व गीत प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि सातों द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती हैं और प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती हैं-
सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास। प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में।।
जिस इलाके में हिगंलाज गुफा है, वहां तीन ज्वालामुखी हैं। इन्हें गणेश, शिव और पार्वती के नाम से जाना जाता है।
मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है, जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक शिला रूप में हिंगलाज माता की आकृति उभरी हुई है। देवी का नाम बांग्ला, असमिया और सस्कृत में इसी नाम से जाना जाता है। आय़ुर्वेद शास्त्र में भी यह नाम आता है।
हिंगलाज देवी नाम से एक और मन्दिर भारत में मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की बरेली तहसील में बाड़ी में है। इस जगह को स्थानीय रूप से छोटी काशी कहा जाता है।