आपका अखबार ब्यूरो।
अगर आप अपने स्मार्टफोन में व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए काम की खबर है। मैसेजिंग यानी संदेशों के आदान-प्रदान के लिए व्हाट्सएप आज एक जरूरी इंस्टेंट मैसेजिंग एप बन चुका है। दुनिया भर में करीब 200 करोड़ लोग व्हाट्सएप इस्तेमाल करते हैं। भारत में ही व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है। दिल्ली हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान मेटा के स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सएप ने कहा है कि अगर उसे इंक्रिप्शन हटाने के लिए कहा गया तो वह भारत में अपनी सर्विस बंद कर सकती है।

केंद्र सरकार ने 25 फरवरी 2021 को नई इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों को लागू किया था। सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया के तमाम बड़े-बड़े प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स को नए आईटी नियमों का पालन करना आवश्यक होगा। नए आईटी नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि सोशल मीडिया कंपनियों को किसी चैट का पता लगाने और किस व्यक्ति ने सबसे पहले वह चैट जनरेट की यानी उस सन्देश की शुरुआत की, उसका भी पता लगाने को कहा जा सकता है। मेटा कंपनी और व्हाट्सएप ने दिल्ली हाईकोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी 2021 के आईटी नियम को चुनौती दी है।

व्हाट्सएप में अदालत में कहा कि उसका ‘एंड टू एंड एंक्रिप्टेड फीचर’ उसके उपयोगकर्ताओं की निजता को सुरक्षित करने का काम करता है। इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म की यह यूएसपी है। इसकी वजह से केवल संदेश भेजने वाला और संदेश पाने वाला- यह दो लोग ही इस बात को जान सकते हैं कि मैसेज में लिखा क्या है।

मामले की सुनवाई के दौरान मेटा और व्हाट्सएप कंपनी के वकील तेजस करिया ने कहा कि हम एक प्लेटफार्म के तौर पर काम कर रहे हैं। अगर हमें एंक्रिप्शन हटाने को कहा जाता है तो भारत में हम अपनी सेवाएं जारी नहीं रख पाएंगे। उन्होंने कहा कि लोग इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल गोपनीयता की वजह से भी करते हैं और इंक्रिप्शन की वजह से ही उनकी निजता बनी रहती है।

तेजस करिया का कहना था कि सरकार की यह जरूरत व्हाट्सएप के उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता के खिलाफ है। व्हाट्सएप की वेबसाइट के मुताबिक व्हाट्सएप एंक्रिप्शन एक प्राइवेसी फीचर है। व्हाट्सएप का कहना है कि उसके प्लेटफार्म में होने वाली सभी तरह की चैट यानी संदेशों का आदान-प्रदान इंक्रिप्टेड होता है और एन्ड टु एन्ड एंक्रिप्शन होने की वजह से प्लेटफार्म में होने वाली चैट सिर्फ सेंडर और रिसीवर ही पढ़ सकता है।

केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि व्हाट्सएप और फेसबुक यह दोनों ही प्लेटफार्म कमर्शियल परपज यानी व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए यूजर्स की जानकारी को मोनेटाइज करते हैं। केंद्र सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह यह भी कहा कि तमाम अन्य देशों के रेगुलेटर का मानना है कि वे कानूनी रूप से यह नहीं कह सकते कि वह गोपनीयता की रक्षा करते हैं। इसके लिए फेसबुक, व्हाट्सएप की जवाबदेही तय होनी ही चाहिए। नई सूचना प्रौद्योगिकी के नियमों के बचाव में दलील देते हुए कीर्तिमान सिंह ने कहा कि लोगों को पता है सोशल मीडिया पर क्या हो सकता है। इस नियम के पीछे एक ही उद्देश्य है कि मैसेज भेजने वाले का पता लगाना। मैसेज का पता लगाने के लिए कुछ तंत्र होना चाहिए।