दुनिया के अलग-अलग देशों में समुद्र में आपने कई त्रासदी और बड़े हादसों के बारे में सुना होगा। इनमें से कुछ भुला दिए जाते हैं, जबकि कुछ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाते हैं। ऐसा ही एक हादसा आज से ठीक 41 साल पहले 15 फरवरी 1982 को हुआ था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह हादसा कनाडा के न्यूफ़ाउंडलैंड प्रांत की राजधानी सेंट जॉन्स से 267 किमी (166 मील) पूर्व में ओडेको रिग पर हुआ था। 15 फरवरी 1982 को अचानक आए तूफान की वजह से ओडेको सेमी-सबमर्सिबल ड्रिलिंग रिग ओशन रेंजर ग्रैंड बैंक्स के पास समुद्र में ही डूब गया था। इस हादसे में उस ड्रिलिंग रिग ओशन रेंजर पर मौजूद सभी 84 लोगों की मौत हो गई थी।

इस वजह से हुआ हादसा

बताया जाता है कि ड्रिलिंग रिग के गिट्टी के कमरे में एक सुराख थी, जो डिजाइन में बड़ी कमी थी। इसका इस्तेमाल ड्रिलिंग रिग की ट्रिम (पानी में स्थिति) का आxकलन करने के लिए किया जाता था, लेकिन तूफान आने के बाद यह क्षतिग्रस्त हुआ और देखते ही देखते पूरा रिग समुद्र में डूब गया। इस हादसे के बाद सामने आया कि अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग और कनाडाई अधिकारियों की ओर से सुरक्षा इंतजामों में लापरवाही की गई थी। रिग पर खराब मैनेजमेंट भी 84 लोगों की मौत का करण माना जाता है। मरने वालों में अधिकतर युवा अमेरिकी और कनाडाई नागरिक थे। बचाव कार्यों के दौरान ओशन रेंजर सतह पर उल्टा तैरता हुआ मिला था।

देखते ही देखते खत्म हो गया सब कुछ

जिस समय समुद्र में तूफान आया, उस वक्त ग्रैंड बैंक्स पर तीन सेमी-सब काम कर रहे थे। ओशन रेंजर अपने तीसरे हाइबरनिया कुएं पर था, जबकि सेडको 706, उत्तर, उत्तर-पूर्व में 13.6 किमी (8.5 मील) दूरी पर व्यस्त था और ज़पाटा युगलैंड उत्तर में 31 किमी (19।2 मील) स्थित था। इससे पहले 14 फरवरी 1982 को इन रिगों को समुद्री फोरकॉस्टर NORDCO की ओर से तूफान के बारे में चेतावनी दी गई थी। हालांकि, इसे रिग मैनेजमेंट ने नजरअंदाज कर दिया। दूसरी ओर तूफान दो दिन पहले मेक्सिको की खाड़ी में शुरू हो चुका था। इसके बाद यह न्यूफ़ाउंडलैंड की ओर ताकत के साथ बढ़ रहा था। 14 फरवरी 1982 को यह सेंट जॉन्स के पास पहुंच गया।

अब तूफान ओसियन रेंजर को 100 किमी (60-प्लस मील) प्रति घंटे की रफ्तार से टकरा रहा था। इसमें समुद्र की लहरें 27 मीटर (88.5 फीट) यानी पांच मंजिला इमारत की ऊंचाई तक रिकॉर्ड की गई थी। जांच में सामने आया था कि सतह की कठिनाइयों और जिस गति से तूफान आया था, उसके कारण ओसियन रेंजर के चालक दल को ड्रिल पाइप को कतरने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने शाम को रिसर को काट दिया। इसके कुछ देर बाद ही 15 फरवरी को दोपहर करीब 01:30 बजे यह डूब गया और इस पर तैनात 84 लोग भी समुद्र में समा गए। वहीं बचाव कार्य के दौरान और तीन लोगों की जान चली गई। ये सभी गोताखोर थे, इस हादसे में मारे जाने वालों की संख्या 87 हो गई।

किसने बनाया था ओसियन रेंजर

इस ओसियन रेंजर  को मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज की ओर से बनाया गया था और 1976 में इसे उतारा गया था। मोबिल के हाइबरनिया तेल खोज पर काम करने के लिए ग्रैंड बैंकों पर तैनाती से पहले, इसने अलास्का, यूएस ईस्टर्न सीबोर्ड और आयरिश जल में काम किया था। ओसियन ओडिसी पहले से ही 70 के दशक के अंत में ड्राइंग बोर्ड पर था, सुमितोमो की ओर से इसे 1983 में ओडेको के लिए बनाया गया था और इसके पहले अच्छी तरह से अपतटीय अलास्का को ड्रिल किया गया था। यह मूल रूप से एक विकसित ओशन रेंजर था और शुरू में इसे ओशन रेंजर का  नाम भी दिया गया था, लेकिन आपदा के बाद इसका नाम ओडिसी रखा गया और इसी तरह वैश्विक सेवा के लिए एबीएस की ओर से वर्गीकृत किया गया।

इस हादसे के बाद आए कई बड़े बदलाव

इस हादसे के बाद इसकी जांच शुरू हुई। इस जांच में कई हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। जांच में पता चला कि रेंजर का निर्माण करते वक्त कई सुरक्षा नियमों को नजरअंदाज किया गया था। इस हादसे के बाद सुरक्षा से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। जैसे 1985 में कनाडा-न्यूफ़ाउंडलैंड अपतटीय पेट्रोलियम बोर्ड का निर्माण किया गया। बाद में इसका नाम बदलकर कनाडा-न्यूफ़ाउंडलैंड और लैब्राडोर अपतटीय पेट्रोलियम बोर्ड  कर दिया गया।  (एएमएपी)