बायोफ्लाक विधि से मत्स्य पालन कर स्वावलंबी बन रहे मत्स्य पालक।
टैंक में छह माह में ही बाजार के लायक तैयार होती हैं मछलियां।
प्रति टैंक से दो टन मछली उत्पादन
मत्स्य विकास अधिकारी अभिषेक वर्मा ने बताया कि प्रत्येक टैंक से 1.5-2 टन मछली का उत्पादन किया जाता है। छोटे मत्स्यपालक अच्छी आमदनी कर सकते है। एक टैंक से लगभग एक से 1.5 लाख रुपये की आय प्राप्त की जा सकती है। इसमें पानी का तापमान, घुलित आक्सीजन, पीएच और अन्य पैमाने पूरी तरह से नियंत्रण में रहते है। इसमें छह से आठ महीने में 800 ग्राम से 1.25 किलोग्राम तक की मछली उत्पादित की जाती है। इन टैंक के पानी को यदि खेतों में सिचाई की जाए तो फसलों में यूरिया और डीएपी डालने की जरूरत ही नहीं होगी और पूरी फसल कार्बनिक हो जाएगी।
साल भर में 12 से 15 लाख रुपये का मुनाफा
बायोफ्लाक के एक बड़े जार में साल भर लगभग 25 टन मछली का पालन व उत्पादन किया जाता है, जिससे लगभग साल भर में 12 से 15 लाख रुपये का मुनाफा होता है। बायोफ्लाक में लगभग 14 लाख रुपये खर्च आता है।
विंध्याचल मंडल के 56 स्थानों पर मत्स्य उत्पादन
मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य विवेक तिवारी ने बताया कि वर्तमान में विंध्याचल मंडल के मीरजापुर में 32, सोनभद्र में 12 और भदोही में 12 सहित 56 स्थानों पर बायोफ्लाक विधि से मत्स्य उत्पादन किया जा रहा है।(एएमएपी)