बोले- एकता सिर्फ आपस में बैठने से नहीं होती।
प्रशांत किशोर ने कहा कि 1977 से पहले जेपी का नव निर्माण आंदोलन हुआ। इमरजेंसी लागू हुई। सबकुछ हो गया तब जाकर सब दल एक साथ में आए। अगर इतना कुछ नहीं हुआ होता तो क्या सारे दल इंदिरा गांधी को हरा देते? 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार में 10 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, तो तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार घोषणा कर दें कि कांग्रेस बिहार में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस इस पर मान जाए।
प्रशांत किशोर ने कहा कि साथ में बैठकर पत्रकार वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले हो गई होती। मैंने भी इस क्षेत्र में 8 से 10 वर्षों तक काम किया है। ममता बनर्जी से आप मिले और ममता बनर्जी ने एक स्टेटमेंट जारी किया। आपने एक स्टेटमेंट जारी किया। इसका जनता पर क्या असर पड़ा? ऐसा तो नहीं कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कह दिया कि वो उन्हें पश्चिम बंगाल में लड़ने के लिए जगह दे देगी। कांग्रेस ने भी नहीं कहा कि हम वेस्ट बंगाल छोड़ देंगे ममता बनर्जी के भरोसे।

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार का ही फार्मूला जारी कर दें कि कांग्रेस-राजद और जदयू कितने सीटों पर लड़ेगी? महागठबंधन में बाकी अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीट पर लड़ेगी? सीपीआई-सीपीआईएम और सीपीआई (एमएल) कितने सीटों पर लड़ेगी?
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में ये फार्मूला जारी कर देंगे इसके बाद आप दूसरे राज्यों में जाएंगे तब जाकर आपको दूसरे दल के लोग गंभीरता से लेंगे। विपक्षी एकता में होता ये है कि हर आदमी कहता है कि मैं अपनी ताकत पर चुनाव लड़ूंगा। दूसरे व्यक्ति को कहता है कि आप आपस में मिल जाएं।
उन्होंने कहा कि सीपीआई (एमएल) का स्ट्राइक रेट बिहार में नीतीश कुमार से ज्यादा है। नीतीश कुमार की पार्टी एक सौ दस सीटों पर लड़कर 42 सीटें जीती। वहीं, सीपीआई (एमएल) 17 सीटों पर लड़कर 12 जीती है। इस हिसाब से सीपीआई (एमएल) को ज्यादा एमपी की सीट मिलनी चाहिए। क्या नीतीश कुमार अपनी सीटें छोड़ देंगे? बात तब बनेगी न जब आप में त्याग करने की क्षमता हो। तेजस्वी यादव बोल रहे हैं यहां हम लोगों के लिए छोड़ दीजिए। सीपीआई (एमएल) मान जाए तब जाकर विपक्षी एकता की बात होगी।(एएमएपी)



