आपका अखबार ब्यूरो ।

भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के उपलक्ष्य में 25 जुलाई, मंगलवार को राष्ट्रपति भवन के मार्बल हॉल में ‘जनजातीय दर्पण’ गैलरी का उद्घाटन किया। ‘जनजातीय दर्पण’ गैलरी राष्ट्रपति भवन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) का एक सहयोगात्मक प्रयास है। इस गैलरी को आईजीएनसीए के जनपद सम्पदा प्रभाग ने क्यूरेट और क्रियान्वित किया है। इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी सहित जनपद सम्पदा के विभागाध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार और उनकी टीम भी उपस्थित थी।

जनजातीय लोगों की कला दुनिया की सबसे विविध विरासतों में से एक है। यह मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक: धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक लक्ष्यों के साथ दृश्य चित्रण के मिश्रण का उदाहरण है। इसकी बारीकियां और कलात्मक कौशल इसके रचनाकारों की नवीन सोच की गवाही देते हैं। यह महाद्वीप लोगों, समाजों और सभ्यताओं से परिपूर्ण है और कई असजग पर्यवेक्षकों की ‘पारंपरिक’ भारतीय जनजातीय कला को सामान्यीकृत करने की प्रवृत्ति के बावजूद, इनमें से प्रत्येक की एक विशिष्ट चित्रमय संस्कृति है। इस विविधता के बावजूद, जब भारत के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों की संपूर्ण दृश्य संस्कृति पर ध्यान देते हैं, तो कुछ सामान्य कलात्मक विषय सामने आते हैं।

भारत की समृद्ध जनजातीय सांस्कृतिक विरासत को एक छत के नीचे प्रस्तुत करना एक कठिन कार्य है। राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटित ‘जनजातीय दर्पण’ गैलरी विभिन्न जनजातीय समुदायों की साझी और उन्हें जोड़ने वाली सांस्कृतिक विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाली एक गैलरी है। इस गैलरी का मकसद समृद्ध कला, संस्कृति और इस राष्ट्र के निर्माण में जनजातीय समुदायों के योगदान की एक झलक प्रदान करना है। गैलरी में अलग-अलग विषय शामिल हैं, जैसे कि गुमनाम जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों, पारंपरिक संसाधन प्रबंधन प्रथाओं- जैसेकि हलमा, टोकरा कला, संगीत वाद्य यंत्र, गुनजला गोंडी स्क्रिप्ट, कृषि और घरेलू उपकरण, बांस की बास्केट, वस्त्र, वॉली, गोंडी और कीचड़, स्क्रॉल, मैच, मास्क और गहने, धातु कर्म, हथियार, टैटू को प्रदर्शित करने वाले समकालीन चित्र, एक पारिस्थितिक परिवेश और राजदंड को प्रदर्शित करने वाली चित्रावली। इस गैलरी की स्थापना राष्ट्रपति भवन द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से की गई है।

अब जबकि हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं, भारत के जनजातीय समुदायों को समझने की औपनिवेशिक दृष्टि को हटाना महत्वपूर्ण है और राष्ट्रपति भवन के मार्बल हॉल संग्रहालय में स्थापित यह गैलरी सही दिशा में की गई एक पहल है। इस गैलरी में प्रदर्शित और क्यूरेटेड कलाकृतियां और वस्तुएं आईजीएनसीए के जनपद संपदा प्रभाग, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और हैदराबाद के आद्य कला संग्रहालय (आदि-ध्वनि फाउंडेशन) के अभिलेखागार से प्राप्त की गई हैं। इस गैलरी में प्रदर्शित अधिकांश कलाकृतियां और वस्तुएं स्वयं जनजतीय कलाकारों ने बनाई हैं और उन्होंने इस गैलरी को क्यूरेट करने में भी भागीदारी की। जनजातीय जीवन और संस्कृति को अपने कैमरे में कैद करने वाले तेलंगाना के फोटो जर्नलिस्ट सतीश आंदेकर के भी 60 से ज्यादा फोटो इस गैलरी का हिस्सा हैं।