कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हालांकि इंडिया को “भारत” कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, जो देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि “इंडिया” से पूरी तरह से छुटकारा पा ले, जिसकी सदियों से बनी अनगिनत ब्रांड वैल्यू है। हमें इतिहास के उस नाम पर अपना दावा छोड़ने के बजाय दोनों शब्दों का उपयोग जारी रखना चाहिए, एक ऐसा नाम जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में असम में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोगों से अपील की थी कि वे इंडिया के स्थान पर देश के लिए भारत शब्द का प्रयोग करें।
क्रिकेट खिलाड़ी वीरेन्द्र सहवाग का कहना है कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि नाम ऐसा होना चाहिए जो हममें गर्व पैदा करे। हम भारतीय हैं, इंडिया अंग्रेजों द्वारा दिया गया एक नाम है और हमारा मूल नाम ‘भारत’ को आधिकारिक तौर पर वापस पाने में बहुत समय लग गया है। मैं बीसीसीआई और जयशाह से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि इस विश्व कप में हमारे खिलाड़ियों के सीने पर भारत हो। उन्होंने आगे कहा कि 1996 के विश्व कप में, नीदरलैंड भारत में विश्व कप में हॉलैंड के रूप में खेलने आया था। 2003 में जब हम उनसे मिले, तब वे नीदरलैंड थे और अब भी वही हैं। बर्मा ने अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम वापस बदलकर म्यांमार कर दिया है और कई अन्य अपने मूल नाम पर वापस चले गये हैं।
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया है। उनका कहना है कि इंडिया नाम से ब्रिटिश हमें प्रताड़ित करते थे जबकि भारत नाम हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। हमें संविधान में संशोधन करना चाहिए और केवल भारत नाम ही रखना चाहिए।(एएमएपी)



