टीआरएफ संगठन की आड़ में फैला रहा आतंक
अनंतनाग की ताजा घटना के पीछे भी जानकार पाकिस्तानी बौखलाहट के इस पहलू को देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि घाटी की ताजा घटनाओं में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि टीआरएफ जैसे संगठन की आड़ में पाकिस्तान खुद को पीछे रखना चाहता है। जबकि लश्कर जैसे संगठन से जुड़े आतंकी हरकत में बने हुए हैं।
घाटी में मारे गए आतंकियों में 108 टीआरएफ या लश्कर से जुड़े
बीएसएफ के एडीजी रहे पी.के. मिश्रा का कहना है कि कश्मीर में इस समय टीआरएफ ही सबसे ज्यादा सक्रिय आतंकी संगठन माना जाता है। लश्कर से जुड़े साजिद जट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी ने ही इसको लीड किया। एक और संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) भी जैश का ही छद्म संगठन है। कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों की जिम्मेदारी टीआरएफ इसलिए लेता है, ताकि पाकिस्तान की सरजमीं से चल रहे लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के नाम न सामने आएं। टीआरएफ से जुड़े आतंकी सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और इसके जरिए युवाओं को भटकाते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, साल 2022 में घाटी में जितने आतंकी मारे गए थे, उनमें से 108 टीआरएफ या लश्कर से जुड़े थे।
स्थानीय स्तर पर युवाओं को गुमराह करने का प्रयास
सुरक्षा जानकारों का कहना है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला अंजाम देने के बाद दुनियाभर में पाकिस्तान जिस तरह से बेनकाब हुआ और उसे जवाबी कार्रवाई का डर भी बढ़ गया। लिहाजा पाकिस्तान ने रणनीति बदल ली और ऐसा संगठन बनाने की साजिश रची, जिससे भारत में आतंक का एजेंडा भी चलता रहे और उसका नाम भी न आए। इसी रणनीति से आईएसआई ने लश्कर के साथ मिलकर टीआरएफ बनाया। सूत्रों का कहना है कि अभी भी पाकिस्तान सीमा से घुसपैठ की कोशिश लगातार जारी है। साथ ही स्थानीय स्तर पर भी युवाओं को गुमराह करने का प्रयास लगातार चल रहा है।(एएमएपी)