साल के पहले दिन सोमवार सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्सपोसेट (एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट) लॉन्च कर इतिहास रच दिया। श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर इसे लॉन्च कर भारत ऐसा करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। एक्सपोसेट ब्लैक होल के रहस्य का पता लगाएगा। दरअसल, वेधशाला को एक्सपोसेट या एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट कहा जाता है। एक साल से भी कम समय में यह भारत का तीसरा मिशन है। भारत अब एक उन्नत खगोल विज्ञान वेधशाला लॉन्च करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। इसे विशेष रूप से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों के अध्ययन के लिए तैयार किया गया है।

इसरो ने किया उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत 11 उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया। इसरो का पहला एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। पीएसएलवी-सी58 ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

इसरो प्रमुख ने कहा- एक और सफल अभियान पूरा

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सफल प्रक्षेपण पर कहा कि आज एक और सफल अभियान पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। उन्‍होंने कहा कि सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी 58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया। पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी।

सफल मिशन के बाद मीडिया से बातचीत में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ। पीएसएलवी-सी58 ने प्रमुख उपग्रह एक्सपोसैट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है। इस बिंदु से पीएसएलवी के चौथे चरण की कक्षा सिमट कर निचली कक्षा में बदल जाएगी, जहां पीएसएलवी का ऊपरी चरण जिसे ‘पोअम’ बताया गया है वह पेलोड के साथ प्रयोग करेगा और उसमें थोड़ा वक्त लगेगा।

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क्यों खास है ये मिशन?

इसरो ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। (एएमएपी)