(24 जनवरी पर विशेष)

देश-दुनिया के इतिहास में 24 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से खास है। यह ऐसी तारीख है, जिसने सारे देश को हिलाकर रख दिया था। दरअसल 24 जनवरी, 1966 को भारतीय न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक होमी जहांगीर भाभा के विमान दुर्घटना में मारे जाने की खबर आई तो सारा राष्ट्र रो पड़ा। भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। भाभा न केवल वैज्ञानिक, बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। डॉ. भाभा की शख्सियत ऐसी थी कि नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन उन्हें भारत का लियोनार्दो द विंची कहकर बुलाते थे।एयर इंडिया का यह विमान मुंबई से न्यूयॉर्क जा रहा था। अमेरिका पहुंचने से पहले वह यूरोप के आलप्स माउंटेन रेंज में क्रैश हो गया। इस हादसे में होमी जहांगीर भाभा समेत 117 लोगों की जान गई थी। कहा जाता है कि होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी का हाथ था। भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को रोकने के लिए भाभा की मौत की साजिश रची गई थी। हादसे के 42 साल बाद 2008 में छपी विदेशी पत्रकार ग्रेगरी डगलस की किताब कन्वर्सेशन विद द क्रो में यह दावा किया गया।

विमान हादसे के तीन महीने पहले भाभा की एक घोषणा ने दुनिया के बड़े मुल्कों को चौंका दिया था। भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो पर घोषणा की थी कि अगर उन्हें छूट मिले, तो वे 18 महीने में एटम बम बनाकर दिखा सकते हैं। भाभा हमेशा देश की सुरक्षा, ऊर्जा, कृषि और मेडिसिन के क्षेत्र में न्यूक्लियर एनर्जी के डेवलपमेंट का जिक्र करते थे। कहते हैं कि अगर उनका विमान क्रैश नहीं होता तो भारत न्यूक्लियर साइंस की फील्ड में कई उपलब्धियां बहुत पहले हासिल कर सकता था।

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होमी भाभा भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के काफी नजदीक थे। साथ ही दुनिया के उन चुनिंदा लोगों में से थे जो उन्हें भाई कहकर पुकारते थे। भाभा 1950 से 1966 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। तब वे भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे। कहते हैं कि सादगी पसंद भाभा कभी भी अपने चपरासी को अपना ब्रीफकेस नहीं उठाने देते थे।(एएमएपी)