मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने सिंधिया के राज्यसभा की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (ने बड़ी राहत दी है। एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने उनके राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी। जिसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। यह याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने दायर की थी।
यह है पूरा मामला
वर्ष 2020 में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के वरिष्ठ ने गोविंद सिंह ने आरोप लगाया कि सिंधिया के द्वारा दायर किए गए चुनावी नामांकन में गलत जानकारी दी गई है। जिसके बाद 2020 में गोविंद सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की। इस याचिका में डॉ सिंह ने आरोप लगाया कि सिंधिया ने नामांकन के साथ जो शपथ पत्र दिया है, उसमें उनके द्वारा जानकारी छुपाई गई है। सिंधिया के विरुद्ध भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में एक आपराधिक केस दर्ज है। जिसकी जानकारी उन्होंने शपथ पत्र में नहीं दी।
कोर्ट ने निरस्त की याचिका
इस याचिका सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोई एफआईआर दर्ज होना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गोविंद सिंह की याचिका खारिज कर दी। बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बीजेपी ने भेजा था राज्यसभा
ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनका चुनाव उनकी पारंपारिक गुना लोकसभा सीट पर था लेकिन जनता का साथ नहीं मिला और वे चुनाव हार गये। इसके बाद लगातार कांग्रेस में अनदेखी से आहत सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे। भारतीय जनता पार्टी ने बाद में सिंधिया को राज्यसभा के लिए भेजा था।
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डॉ गोविंद सिंह ने लगाई थी याचिका
राज्यसभा सांसद बनने के बाद सिंधिया के खिलाफ तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने उनके नामांकन पत्र को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उन्होंने सिंधिया की सांसदी को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि सिंधिया ने नामांकन में एफआईआर की जानकारी छिपाई थी। उन्होंने दिये शपथ पत्र में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में दर्ज एक क्रिमिनल केस के संबंध में हुई FIR की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था।(एएमएपी)