यह है मामला
दरअसल, आठ फरवरी को चुनाव हुए थे, उसी दिन नतीजा सामने आना था। हालांकि, कुछ कारणों के चलते नतीजे सामने नहीं आ सके। इसके बाद शीर्ष चुनाव निकाय के अधिकारियों और पदाधिकारियों के खिलाफ चुनावों में कथित धांधली में शामिल होने का आरोप लगाते हुए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। पार्टी नेताओं का कहना था कि उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने उनकी पार्टी के जनादेश को चुराने में मदद की।
आरोपियों पर चलेगा केस
अब कार्यवाहक सरकार द्वारा गठित संयुक्त जांच दल (जेआईटी) उन संबंधित लोगों का पता लगाएगा, जिन्होंने इन अधिकारियों को ट्रोल किया था। बताया जा रहा है कि संबंधित कानूनों के तहत दोषियों की पहचान कर उनपर मुकदमा चलाया जाएगा। मतदान के दो सप्ताह बाद, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने के लिए समझौता किया। इस पर पीटीआई ने आरोप लगाया कि पीएमएल-एन और पीपीपी दोनों ने संसद में कम सीटें हासिल कीं। साथ ही उसने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया और दावा किया कि शक्तिशाली प्रतिष्ठान यानी चुनाव आयोग धांधली के अपराधियों के साथ मिला हुआ है।
ये लोग समिति में शामिल
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जेआईटी का गठन इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम कानून (पेका) 2016 की धारा 30 के तहत किया गया है और संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अतिरिक्त महानिदेशक इसके संयोजक होंगे। अन्य सदस्य इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (एनएडीआरए) और पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) से होंगे। सोशल मीडिया अभियान की जांच के लिए जरूरत पड़ने पर वह आईटी विशेषज्ञों की मदद भी ले सकते हैं।
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अमेरिका ने भी की जांच की मांग
अमेरिका ने भी कहा है कि पाकिस्तान आम चुनाव में हस्तक्षेप और धोखाधड़ी के दावों की जांच होनी चाहिए। अमेरिका ने चुनावी धांधली के आरोपों के बीच कहा कि पाकिस्तान के कानूनों के तहत पारदर्शी जांच निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए जरूरी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने रावलपिंडी के पूर्व आयुक्त लियाकत अली द्वारा लगाए गए धांधली के आरोपों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। 17 फरवरी को वरिष्ठ पाकिस्तानी नौकरशाह ने आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश आठ फरवरी के चुनावों में चुनाव धांधली में शामिल थे। इन आरोपों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लियाकत अली ने कहा कि जो उम्मीदवार चुनाव हार रहे थे, उन्हें जीता हुआ घोषित किया गया। (एएमएपी)