मोहन का शासन है दिव्यांग जनों के लिए संवेदनशील
डॉ. मयंक चतुर्वेदी ।
भारत की 4.52 प्रतिशत जनसंख्या दिव्यांग श्रेणी में
आंकड़ों को देखें वैश्विक स्तर पर 1.3 बिलियन लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उनमें से 80 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में निवास करते हैं। इसमें भी 70 ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। यहां यदि भारत की स्थिति देखें तो विश्व बैंक के अनुसार भारत की 5-8 प्रतिशत जनसंख्या दिव्यांगता की परिधि में आती है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) का अनुमान है कि 2.2 प्रतिशत आबादी दिव्यांग है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5, 2019-21) में पाया गया कि देश की 4.52 प्रतिशत जनसंख्या दिव्यांग हैं। वर्तमान में देश में चार प्रकार के दिव्यांग मौजूद हैं, एक वह जोकि व्यवहारिक या भावनात्मक रूप से कमजोर है। दूसरे वह, जिनमें संवेदी अक्षमता विकार है। तीसरी श्रेणी भौतिक एवं शारीरिक अपंगता की स्थिति है और चौथी श्रेणी में विकास संबंधी दिव्यांग आते हैं ।
हम सभी जानते हैं कि भारत ने वर्ष 2007 में दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UN Convention on the Rights of Persons with Disabilities- CRPD) की पुष्टि की और वर्ष 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPWD) को अधिनियमित किया। जोकि दिव्यांगजनों की सुरक्षा एवं सशक्तीकरण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। हालाँकि यह सच है कि इन कानूनों एवं नीतियों के कार्यान्वयन और प्रवर्तन में विभिन्न कमियाँ एवं चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं और दिव्यांगजनों की एक बड़ी संख्या अभी भी अपने अधिकारों एवं प्राप्त उपचारों से अपरिचित है।
मध्यप्रदेश में केंद्र और राज्य की हर दिव्यांजन योजना पर हो रहा माइक्रो लेवल पर कार्य
वस्तुत: दिव्यांगता के लिए आज जो सबसे बड़ी कठिनाई है, वह है गरीबी, शिक्षा एवं अवसरों तक पहुँच की कमी, अनौपचारिकता और सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव के अन्य रूपों से उनका निरंतर सामना करना । निश्चित ही इससे निपटने के लिए प्रत्येक राज्य सरकारें अपने स्तर पर कार्य योजना बनाती हैं और केंद्र से जो कार्यक्रम आते हैं उन्हें भी सही ढंग से पूरा करने का प्रयास करती हैं। किंतु कहना होगा कि आज देश के सभी राज्यों के बीच मध्यप्रदेश जितना अधिक दिव्यांगजनों का हित साधने में सफल हुआ है, उतना देश का अन्य कोई भी राज्य सफल नहीं हो सका है।
प्रदेश में इस वक्त डॉ. मोहन यादव की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। इससे पहले शिवराज सिंह चौहान भी भाजपा की सत्ता में मुख्यमंत्री थे। यहां अच्छी बात यह है कि पहले और वर्तमान दोनों स्थिति में दिव्यांगजन सरकार की पहली प्राथमिकता में हैं । यही वह कारण भी है कि मोहन सरकार में मध्यप्रदेश को देश में दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मध्यप्रदेश को वर्ष 2023 के लिए प्रथम पुरूस्कार प्रदान किया गया।
केंद्र की हर दिव्यांगजन के लिए बनाई योजना में जितना भी अधिक श्रेष्ठ कार्य किया जाना संभव है, वर्तमान मध्यप्रदेश में वह हमें होता हुआ दिखाई देता है। विशिष्ट निःशक्तता पहचान पोर्टल पर पंजीयन, सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से अधिक से अधिक दिव्यांजन को लाभ पहुंचाना हो, दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना में लोगों को जोड़ना हो, दिव्यांगजनों के लिये सहायक यंत्रों/उपकरणों की खरीद/फिटिंग में सहायता की योजना पर काम हो, दिव्यांग छात्रों के लिये राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए चयन और उसे पात्र को दिया जाना हो या दिव्यांगजनों के अद्वितीय पहचान पत्र जिसे हम युनिक आईडी फॉर परसन्स विथ डिसेबिलिटी- यूडीआईडी भी कहते हैं के लिए अधिकतम लोगों को उससे जोड़कर उन्हें लाभ देने की आवश्यकता हो। वास्तव में आज इन सभी क्षेत्रों में मध्यप्रदेश बहुत अच्छा कार्य कर रहा है ।
मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने दिए विभाग को एडवांस में कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश
सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने विभाग के अधिकारियों को अभी से निर्देश दे दिया है कि वित्तवर्ष 2024-25 के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करें । जिससे कि दिव्यांगजन कल्याण के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों में ओर अधिक गति लाना संभव हो सके। यह आंकड़ा सभी भी आंख खोल देने के लिए पर्याप्त है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शासकीय नौकरियों में 6 प्रतिशत आरक्षण दिव्यांगजन को प्रदान किया जा रहा है। जो अन्य राज्यों से दो प्रतिशत अधिक है। आज प्रदेश के 56 विभागों में दिव्यांगजन के लिये आरक्षित 13 हजार पदों की भर्ती के लिये समयबद्ध कार्यक्रम सामान्य प्रशासन विभाग के साथ बनाने पर कार्य गतिशील है।
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दिव्यांजन के हित में अभी करना है कई कदम तय, चुनौतियां कम नहीं
राज्य में दिव्यांगजन को उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा पर जोर देकर उन्हें योग्य बनाया जा रहा है। दिव्यांगजन के लिये पुनर्वास पॉलिसी बनाना राज्य सरकार के अपने संकल्प पत्र में प्रमुखता से रखा है। राज्य की मोहन सरकार ने रोजगार मूलक ऋण योजनाओं में दिव्यांगजन को गारंटी मुक्त ऋण मुहैया कराने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। प्रदेश में दिव्यांगजन के लिए बीमा योजना है, स्वास्थ्य गारंटी है, खेल योजनाएं हैं और भी अनेक सुविधाएं हैं जोकि आज उन्हें सुलभ कराई गई हैं।
हालांकि अभी दिव्यांगजनों के सामने चुनौतियां समाप्त हो गई हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। जीवन में अपने आप में सबसे बड़ी चुनौती दिव्यांग होना ही है। बहुत लम्बा पथ दिव्यांगजनों के हित में अभी पार करना शेष है, किंतु फिर भी समाज के बीच हम कैसे सरकात्मक वातावरण बना सकते हैं, इसके लिए अधिक से अधिक कार्य अभी किए जाना है । जिसमें कि कहना होगा कि आज मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार बहुत अच्छा कार्य करती हुई दिखाई
दे रही है ।(एएमएपी)