(16 मार्च पर विशेष)
देश-दुनिया के इतिहास में 16 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख इराक-ईरान जंग में बर्बरता की गवाह है। इराक-ईरान के बीच 1980 से जंग चल रही थी। हजारों लोगों मारे जा चुके थे। 16 मार्च, 1988 को जो हुआ, वह इतिहास की सबसे क्रूरतम घटनाओं में शामिल हो गया।सुबह लगभग 11 बजे इराकी सेना ने ईरान की सीमा से लगे शहर हेलबजा पर केमिकल अटैक कर दिया। सेना ने मस्टर्ड गैस को हवा में घोल दिया। पलक झपकते ही पांच हजार से ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा गए। लगभग 10 हजार लोग जिंदगीभर के लिए किसी न किसी बीमारी का शिकार हो गए। केमिकल इतना घातक था कि अगली पीढ़ियों तक में इसका असर देखने को मिला। हेलबजा शहर इराक-ईरान सीमा पर है। यहां ज्यादातर कुर्द लोग रहते थे, जो इराक में सद्दाम हुसैन के शासन से नाखुश थे। जब ईरान की सेना इस इलाके में घुसी तो स्थानीय कुर्दों ने उनका स्वागत किया। यह बात सद्दाम को नागवार गुजरी। उन्होंने कुर्दों को सबक सिखाने का फैसला लिया। यह हमला उसी नफरत का नतीजा था।
इसके अलावा साल 2014 का मार्च महीना भारत के लिए बड़ी उपलब्धि लेकर आया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो-मुक्त देश घोषित कर दिया। भारत के लिए यह 19 साल की लंबी लड़ाई का नतीजा था। इसका पहला अध्याय साल 1995 में 16 मार्च को शुरू हुआ। इसी दिन भारत में पोलियो की ओरल वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी। भारत के पल्स पोलियो अभियान को दुनिया के सबसे सफल वैक्सीनेशन कैंपेन के तौर पर गिना जाता है। वैक्सीनेशन के प्रति जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 16 मार्च को नेशनल वैक्सीनेशन डे के रूप में मनाया जाता है।(एएमएपी)