म्यूजिक मेरी फिल्मों में स्टोरी टेलिंग का जरूरी हिस्सा था।
अपनी कई म्यूजिकल हिट फिल्मों के लिए मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई का कहना है कि वो म्यूजिक को सिर्फ एक गाना भर नहीं मानते थे, बल्कि इसे अपनी स्टोरीटेलिंग का एक जरूरी हिस्सा मानते थे।
सिल्वर स्क्रीन के जाने माने फिल्ममेकर सुभाष घई हाल ही में ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा के पॉपुलर पॉडकास्ट गेम चेंजर्स में नजर आए। बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार उस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी फिल्मों में म्यूजिक के अहम रोल पर खुलकर बात की। उन्होंने इस पर भी बात की कि किस तरह उन्होंने अपनी फिल्मों के म्यूजिक को कहानी के साथ इस तरह जोड़ा कि वो दर्शकों के दिलों तक पहुंच जाए।
फिल्म ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा की पहचान अपने तीखे और गहरे सवालों को लेकर रही है। उन्होंने सुभाष घई से पूछा, “सुभाष जी, आपकी फिल्मों में म्यूजिक का बहुत अहम रोल रहा है। आपने एक के बाद एक सुपरहिट गाने दिए। लेकिन क्या आपके म्यूजिक बनाने का तरीका अलग था? आप इस पर कैसे काम करते थे?”
सुभाष जी, जो हमेशा अपने काम को लेकर गहराई से सोचते हैं, ने बड़े ही सोच-समझकर जवाब दिया, “हमारे समय में, जब बड़े-बड़े म्यूजिक हिट होते थे, तो बस एक फर्क था- मैं म्यूजिक को एक कविता की तरह मानता था। मेरे लिए आनंद बक्शी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और रहमान से भी बड़े थे। मैं फिल्म के बोले जाने वाले डायलॉग लिखता था, और आनंद बक्शी गाने वाले डायलॉग लिखते थे। जब हम ‘अंतरा’ लिखते थे, तो ऐसा लगता था जैसे उन्हें मेरी कहानी मुझसे भी ज्यादा अच्छे से पता है।”
दिग्गज डायरेक्टर ने अपनी फिल्मों में म्यूजिक और कहानी के बीच गहरे जुड़ाव को लेकर खास जोर दिया। उन्होंने माना कि उनके किस्सों को सदाबहार गानों में बदलने में गीतकार आनंद बक्शी का अहम योगदान रहा है। घई का म्यूजिक बनाने का यह कोलैबोरेटिव अप्रोच ही वो खास वजह थी, जिसकी बदौलत आज भी उनके गाने लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।