मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बदल रहे अयोध्या की तस्वीर।
गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का अयोध्या से पुराना और बेहद प्रगाढ़ रिश्ता रहा है। हाल के 100 वर्षों के दौरान राम मंदिर को लेकर जो भी आंदोलन हुआ उसमें उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ से लेकर उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ केंद्रीय भूमिका में रहे। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ तो राम मंदिर आंदोलन के लिए गठित दो शीर्ष समितियों के पदाधिकारी भी थे। वह श्रीराम जन्मभूमि यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के शीर्ष पदाधिकारी रहे।
बतौर गोरखपुर के सांसद, गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी (अब पीठाधीश्वर) होने के नाते आदित्यनाथ का भी अयोध्या से खासा लगाव रहा। वह अयोध्या को अपना मानते रहे और अयोध्यावासी उनको अपना। वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि यही वजह है कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद साल दर साल और अयोध्या खास होती गयी। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आदित्यनाथ ने अयोध्या से लगाव को बनाये रखा। यही वजह है कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या साल दर साल और खास होती गयी। इसी क्रम में उनकी पहल से दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत की गई।
माना जाता है कि भगवान राम के वनवास से अयोध्या वापस आने पर वहां के लोगों ने खुशी में अपने घरों एवं चौबारों में दीपक जलाए। त्रेतायुग की उसी याद को ताजा करने के लिए दीपोत्सव की शुरुआत की गई। इस अवसर पर सरयू की भव्य आरती के अलावा पूरे अयोध्या, मठ-मंदिरों, घाटों, सड़कों, चौराहों, सार्वजनिक स्थानों की साज-सज्जा के साथ, लाइटिंग, म्यूजिकल लेजर शो, म्यूजिकल ग्रीन फायर क्रैकर शो एवं दीपकों से जगमग हो उठती है। अयोध्या में सरयू के दाहिनी ओर राम की पैड़ी पर लाखों दीपकों का एक साथ जलते देखना तो खुद में अभूतपूर्व एवं अकल्पनीय होता है। सरयू के जल में पड़ता इनका प्रतिबिंब देख यही लगता है मानों आसमान के सभी चांद-सितारे भी अपने राम के वनवास से आने की खुशी में अयोध्या ही आ गए हों।
प्रयास यह रहता है कि पूरा परिदृश्य बहुत हद तक वैसा ही हो जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और अन्य साथियों के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे। दीपोत्सव के दिन भी दोपहर बाद राम, लक्ष्मण एवं सीता का स्वरूप बने मंचीय कलाकार हेलीकॉप्टर से लैंड करते हैं। मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद रहती है। इस बार तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आना प्रस्तावित है। वर्ष 2017 से शुरू दीपोत्सव हर साल और खास होता गया। अगर अबकी यहां प्रधानमंत्री का आना हुआ तो यह दीपोत्सव बेहद खास हो जाएगा। दीपोत्सव के बाद राम का राजतिलक होता है। रामलीलाओं का मंचन तो पूरी रात चलता है।
अयोध्या में पर्यटकों का आना-जाना बढ़ा
दीपोत्सव के नाते अयोध्या की देश-दुनिया में जबर्दस्त ब्रांडिंग हुई। हर साल दीप प्रज्ज्वलन का रिकॉर्ड बना। वैश्विक महामारी कोरोना को अपवाद मान लें तो अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों, श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी। मसलन 2017 के पहले दीपोत्सव के दौरान वहां सरयू के घाटों पर जलने वाले दीपकों की संख्या 1.71 लाख थी। तो 2018, 2019, 2021 एवं 2022 में यह बढ़कर क्रमशः 3.01, 4.04, 6.06 व 9.41 लाख रही। दीपों की संख्या के लिहाज से हर साल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस साल 15 लाख दीप जलाने का लक्ष्य है। तैयारी 17 लाख दीपकों की की गई है। मसलन लगातार छठें साल भी अयोध्या के दीपोत्सव के नाम एक और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड जुड़ जाएगा। दीपोत्सव की वजह से हुई ब्रांडिंग से यहां आने वाले पर्यटकों, श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है।
अलग देशों की रामलीलाएं बनतीं हैं राम की स्वीकार्यता का प्रमाण
दीपोत्सव के अवसर पर भगवान राम की स्वीकार्यता अलग-अलग देशों के रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों के जरिए दिखती है। स्थानीय कलाकारों को भी अपना फन दिखाने का मौका मिलता है। अब तक के पांच दीपोत्सव के दौरान इंडोनेशिया, श्रीलंका, त्रिनिदाद, रूस, लाओस, कम्बोडिया, नेपाल, फिलीपींस, फिजी, जम्मू कश्मीर, असम, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल के रामलीला दल अयोध्या में अपनी परंपरा के अनुसार रामलीलाओं का मंचन कर चुके हैं।