नींद की कमी से मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय तक नींद के पूरा नहीं होने से अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से कई अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो सकती है। नींद की कमी की वजह से दिमाग के उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है, जो सीखने और याद करने के लिए जिम्मेदार होता है। अच्छी नींद और सेहत का गहरा संबंध है। अगर रात में आपकी नींद अक्सर बाधित होती है और आपको सांस लेने में कुछ रुकावट के साथ खर्राटे लेने का इतिहास है, तो इसे हल्के में न लें। यह आपकी याददाश्त और दिमाग के दूसरे कामों पर प्रभाव डाल सकता है। एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के लक्षण और खराब नींद की क्वालिटी का दिमाग पर सीधा असर होता है।

अध्ययन का उद्देश्य

अध्ययन का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि क्या ओएसए लक्षण और खराब नींद की क्वालिटी मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग शहरी भारतीय आबादी में अनुभूति से जुड़ी हुई है।

दिमाग के कामकाज पर पड़ा बुरा असर

एम्स की इस नई स्टडी 6,795 लोगों पर अध्ययन किया गया। स्टडी में पाया गया कि जिन्हें सोने में समस्या के लक्षण थे, उनकी याददाश्त, सीखने की क्षमता और दिमाग के सामान्य कामकाज पर बुरा असर पड़ा। इस अध्ययन में 49% महिलाएं 50 साल या उससे ज़्यादा उम्र की थीं। अध्ययन में और पाया गया कि 50 से 60 साल के बीच की उम्र वाले लोगों में नींद की दिक्कत दिमाग को ज़्यादा प्रभावित करती है, वहीं बुजुर्गों पर इसका उतना असर नहीं होता। इसके अलावा, जो लोग सामान्य रूप से अच्छी नींद नहीं ले पाते थे, उनके दिमागी परीक्षणों में भी कम स्कोर आए, खासतौर पर याददाश्त, सीखने की क्षमता और निर्णय लेने के मामले में। हालांकि, जानकारी को समझने की क्षमता पर इसका असर नहीं दिखा।

किसी पसोपेश में न रहें

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के नतीजों का मध्यम आयु और बुजुर्गों में डिमेंशिया (याददाश्त कमजोर होना) को रोकने के लिए काफी महत्व है। नींद में दिक्कत (OSA) के लक्षण और खराब नींद दोनों ही ऐसी चीजें हैं जिन्हें बदला जा सकता है। अध्ययन के अंत में बताया गया है कि अगर लोगों को नींद में दिक्कत के लक्षणों और इसके बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी नहीं होगी, इलाज कराने में हिचकिचाहट होगी और डॉक्टर भी इलाज कब और कैसे शुरू करें इसको लेकर असमंजस में रहेंगे, तो बहुत से लोग ऐसे इलाज से वंचित रह जाएंगे जो शायद उनके दिमाग को कमजोर होने से बचा सके।

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मेमोरी और ब्रेन फंक्शनिंग पर हो सकता है असर

मुख्य अन्वेषक डॉ. कामेश्वर प्रसाद, न्यूरोलॉजी के एमेरिटस प्रोफेसर, एम्स, और अब न्यूरोलॉजी के प्रमुख, फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, का कहना है कि जिन व्यक्तियों की नींद की क्वालिटी खराब है या ओएसए का कोई संकेत है, उन्हें स्मृति पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए उपचार का फायदा उठाना चाहिए ताकि मेमोरी और ब्रेन फंक्शनिंग पर कोई असर ना हो। प्रसाद ने कहा कि जिन लोगों की नींद की क्वालिटी खराब थी, उन्हें प्लानिंग, डिजाइनिंग, समझ और समस्या समाधान जैसे कामों को लेकर समझौता करना पड़ा।

अच्छी नींद पाने के टिप्स

अध्ययन सदस्य और एम्स के न्यूरोलॉजी के प्रमुख  डॉ. मंजरी त्रिपाठी  का कहना है कि व्यक्ति को हर दिन एक ही समय पर सोना और जागना चाहिए। इसके अलावा शराब, कैफीन, निकोटीन और अन्य उत्तेजक पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। खासकर दोपहर 2 बजे के बाद सोने से बचें और शाम या रात में ध्यान करें या दिमाग को आराम देने वाले व्यायाम करें। रात में ज्यादा फैटयुक्त या ऑयली खाने को अवॉइड करें। सोने से कम से कम तीन घंटे पहले डिनर खाएं। (एएमएपी)