त्रिपुरा- यहां संस्कृति और प्रकृति एकाकार होती हैं

आपका अखबार ब्यूरो ।

बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित त्रिपुरा के तीन तरफ बांग्लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह असम और मिजोरम से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि ययाति वंश के 39वां राजा राजा त्रिपुर के नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा । एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू धर्म की 51 शक्ति पीठों में से एक है। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में ‘माणिक्य’ नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिन्दू धर्म अपनाया था। त्रिपुरा के शासकों को मुगलों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पड़ा जिसमें आक्रमणकारियों को कम ही सफलता मिलती थी।


1901 में महाराजा राधाकिशोर माणिक्य का बनवाया शाही उज्जयंता पैलेस यहां का मुख्य आकर्षण है। जामपुई हिल को नित्य रहने वाले बसंत का स्थान कहा जाता है। सुंदर प्राकृतिक दृश्य, सुहानी जलवायु, बाग, सूर्योदय व सूर्यास्त यहां के आकर्षण हैं। भुवनेश्वरी मंदिर, पक्षी विहार सेपाहीजाला, नीर महल, झील महल, हिंदू व बौद्ध मूर्तियों के लिए पिलाक, कमला सागर काली मंदिर, देवतामुरा की चट्टानों में खुदी मूर्तियां व दंबूर झील यहां के अन्य पर्यटन स्थल हैं।

कहीं नहीं देख पाएंगे अरुणाचल जैसा सूर्योदय

जहां सबसे पहले सूर्योदय होता है अरुणाचल प्रदेश भारत का वह प्रदेश है। 60 प्रतिशत भूमि पर जंगल हैं। कई नदियां व नाले जलक्रीड़ा का निमंत्रण देते हैं। ऊंचे पर्वत, वन्य प्राणी, दुर्लभ जड़ी-बूटियां व सुंदर दृश्य राज्य की धरोहर हैं। शायद यही ऐसा प्रदेश है जहां एक ही क्षेत्र में तेंदुआ और क्लाउडेड तेंदुआ पाए जाते हैं। यहां के लोगों की प्राकृतिक शक्तियों में विशेष आस्था है। 25 जनजातियां और उनकी उपजातियां यहां रहती हैं। मेले व पर्व यहां के जनजीवन का आधार हैं। पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य स्थल तवांग है, जहां बहुत ठंड होती है। दिरांग, बोमडिला, टिपी, मालुकपोंग, इटानगर, दापोरिजो, आलोंग, पासीघाट, मालिनीथान, जीरो, तेजु आदि अन्य स्थान हैं।

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प्रकृति, नृत्य और मानवीय कला का संगम मिजोरम

मिजोरम की राजधानी आइजॉल है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, नृत्य, त्योहार, जंगल, वन्य प्राणी, हस्तशिल्प वस्तुएं व सुहानी जलवायु सबको बहुत भाती है। चपचार कुट, मिम कुट और पालकुट यहां के मुख्य पर्व हैं। तामदिल  झील, झरनों के लिए वानतांग, ट्रेकिंग के लिए फांगशुई, छिमतुईपुई नदी पर मछली के शिकार हेतु सैहा व लुंगली यहां के प्रमुख पर्यटनस्थल हैं। दंपा अभ्यारण्य, फांगशुई व मुरलेन नेशनल पार्क और न्गेगंपुई अभ्यारण्य वन्यप्राणी प्रेमियों की पसंदीदा जगहें हैं।

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