डॉ. मयंक चतुर्वेदी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के 10 वर्ष पूरे कर रहे हैं, इसके साथ ही भारत अपने हर क्षेत्र में विकास के पायदान सुनिश्‍चित कर रहा है। इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस, वामपंथी, आप समेत जो भी हैं, वह केंद्र की मोदी सरकार को आर्थ‍िक मोर्चे समेत किसान, महिला एवं अन्‍य तमाम विषयों पर घेरने का प्रयास करते दिखाई देते हैं। विपक्ष का कहना है कि मोदी राज में देश आर्थ‍िक रूप से कमजोर हुआ है। देश में बेरोजगारी बढ़ी है, किसान बहुत परेशान है। देश का युवा हो या अन्‍य कोई सभी मोदी सरकार से बहुत दुखी हैं;  किंतु क्‍या वास्‍तव में यह सत्‍य है? इस संबंध में तमाम आंकड़े केंद्र की वर्तमान सरकार के पक्ष में जा रहे हैं। ऐसे में यह जानने की जिज्ञासा जरूर है कि विपक्ष के राजनीतिक दल इस तरह के फर्जी आंकड़ें लाते कहां से है! यदि भारत आज आर्थ‍िक मोर्चे पर विकास नहीं कर रहा होता तो सुप्रीम न्‍यायालय (एससी) यह कभी नहीं कहता कि ‘भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी दुनिया में पहचान मिल रही है। देश को इस पर गर्व करना चाहिए।’वास्‍तव में इस तरह की टिप्‍पणी यदि सुप्रीम कोर्ट दे रहा है तो इसके गहन अर्थ हैं, जिसे आज हर भारतीय को समझना चाहिए। विपक्ष जो कह रहा है वह अपनी जगह है, किंतु न्‍यायालय बिना किसी पक्ष और विपक्ष के वही कहता है जो सत्‍य या सत्‍य के नजदीक होता है। इस दृष्‍टि से न्‍यायालय की कही बात को हम समझें और सत्‍य मानें। आज दुनिया की तमाम वित्‍त‍िय एजेंसियां हैं आंकड़े प्रस्‍तुत कर रही हैं कि कैसे भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर रेटिंग भारत को विकास की गति में नंबर एक पर रख रही है। यह सत्‍य भी है; क्‍योंकि दुनिया के सभी बड़े देशों में भारत की विकास दर सबसे तेज है।

अर्थव्यवस्था में उद्योगों और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के क्रांतिकारी परिवर्तनों ने जो रफ्तार विकास को दी है, वह दुनिया के कई देशों के लिए सीखने लायक है। यहां तक कि जिस किसान आन्‍दोलन के जरिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा है, उन किसानों के लिए पिछले दस सालों में इस सरकार के रहते बहुत काम हुआ। पहली बार सभी 22 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से न्यूनतम 50 प्रतिशत अधिक निर्धारित किया गया। पिछले साल दिसम्‍बर माह तक 23.58 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति और उसकी संरचना की जानकारी प्रदान करने के‍लिए उन्‍हें वितरित किए जा चुके हैं। इससे वे आसानी से जान जाते हैं कि उनके खेत में कौन-कौन फसलें उन्‍हें सबसे अधिक लाभ दिलाएंगी।

मोदी सरकार के रहते कृषि का बजट पांच गुना हुआ; 1.37 लाख करोड़ से 7.27 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा
पिछली कांग्रेस सरकार में जो कृषि के लिए निर्धारित बजट 1.37 लाख करोड़ था वह पिछले दस वर्षों के दौरान 5 गुना बढ़ चुका है। यह 7.27 लाख करोड़ रुपए हो गया। कहना होगा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में किसानों के अमूल्य योगदान को पहचानते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने कई नीतियों और योजनाओं के माध्यम से सहायता को बढ़ाया है। ये नीतियां किसानों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ ही उनकी कठिनाइयों को भी कम करती हैं। अपने परिवार का भरण-पोषण किसान ठीक ढंग से कर सके इसके लिए ये योजनाएं उसे सक्षम बनाती हैं। अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को ही देख लेवें, किसान नामांकन में यह दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन गई है। बीमा प्रीमियम में भी यह विश्‍व में आज तीसरी सबसे बड़ी योजना है।

ये योजनाएं लेकर आईं किसानों के जीवन स्‍तर में सुधार

इस संदर्भ में कहना होगा कि आज ‘प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी पहल किसानों को वित्तीय और आय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकार ने देश की कृषि नीति और योजनाओं में 10 करोड़ से ज्यादा छोटे किसानों को प्राथमिकता दी है।’ (ADDRESS BY THE HON’BLE PRESIDENT OF INDIASMT. DROUPADI MURMU TO PARLIAMENT, January 31, 2024)। पीएम-किसान सम्मान योजना के माध्‍यम से हर साल सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को सीधी वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। योजना में किसानों को अब तक 2.80 लाख हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मिल चुकी है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जा रहा है। यह व्यापक फसल बीमा पॉलिसी यह सुनिश्चित करती है कि किसानों को गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक कारणों से सुरक्षा मिले। उनकी आजीविका सुरक्षित रहे और अप्रत्याशित आपदाओं की स्थिति में वित्तीय बर्बादी को रोका जा सके। इस योजना के तहत किसानों ने 30 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया। इसके बदले में उन्हें 1.5 लाख करोड़ रुपये का क्लेम मिला है। सरकार पीएम-केएमवाई के तहत नामांकित 23.4 लाख छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन लाभ भी प्रदान कर रही है। मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में कार्यकाल के दौरान किसानों के लिए बैंकों से आसान ऋण में तीन गुना वृद्धि हुई है। इस तरह की पहल और योजनाओं व अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार देश व दुनिया के लिए अनाज पैदा करने में ‘अन्नदाता’ की सहायता कर रही हैं।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना ने 2.4 लाख एसएचजी और साठ हजार व्यक्तियों को क्रेडिट लिंकेज से सहायता प्रदान की है। अन्य योजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने और उत्पादकता और आय में सुधार के प्रयासों को पूरक बना रही हैं। केंद्र की बीजेपी शासन में दिसंबर, 2023 की अवधि तक कृषि यंत्रीकरण के लिए 6405.55 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी। कृषि मशीनीकरण संबंधी उप-मिशन (एसएमएएम) के फंड से अब तक 141.41 करोड़ रुपये की धनराशि किसान ड्रोन प्रोत्साहन के लिए जारी की जा चुकी है। जिसमें कि 79070 हेक्टेयर भूमि में डिमॉस्ट्रेशन के लिए 317 ड्रोन की खरीद की गई। इस साल 31 जनवरी 2024 तक 1.77 करोड़ किसान और 2.53 लाख व्यापारी ई-नाम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।

डिजिटल समावेशन और मशीनीकरण को मिला बढ़ावा, आ रहे सुखद परिणाम

कहना होगा कि सरकार ने उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल समावेशन और मशीनीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। 2016 में डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-एनएएम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) के लॉन्च ने कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) मंडियों के एकीकरण की सुविधा दी है और किसानों, किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ), खरीदारों और व्यापारियों को बहुआयामी लाभ प्रदान किया है। ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़े बाजारों की संख्या मोदी सरकार के आने के बाद से अब तक 1,389 हो गई है।

इस प्लेटफॉर्म पर 1.8 करोड़ से अधिक किसानों और 2.5 लाख व्यापारियों का पंजीकरण हुआ है, जो पारदर्शी मूल्य खोज प्रणाली और ऑनलाइन भुगतान सुविधा के माध्यम से बाजार के अवसरों को बढ़ावा देता है। सरकार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत करके सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है। इसके साथ ही किसान रेल की शुरुआत भी मोदी सरकार की एक बड़ी पहल मानी जा सकती है, जिसके अंतर्गत 28 फरवरी 2023 तक 167 मार्गों पर 2359 सेवाएं संचालित की जा चुकी हैं।

जनसंख्‍या बढ़त की चुनौतियां कम नहीं; फिर भी खाद्यान पूर्ति और विदेशों में भी भेजा रहा अन्‍न

यहां ध्‍यान देनेवाली बात है कि भारत की लगातार जनसंख्‍या बढ़ रही है, उसके साथ ही खाद्यान पूर्ति भी एक चुनौती के रूप में है, ऐसे में नए-नए वैज्ञानिक शोध और कम जल तथा जरूरतों से कैसे अधिक उपज किसान ले सकता है, इसके लिए जितना अधिक नए बीजों पर काम हुआ, वह पिछली किसी भी सरकार में होता हुआ नहीं दिखा है। यानी कि पिछले 65 साल और 10 साल की तुलना की जाएगी तो 2014 से अभी तक का समय कृषि अनुसंधान के मामले में इतना तेज है कि वह 65 वर्षों से अधिक कार्यपूर्ति करता हुआ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तनशीलता से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इस क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय अनुसंधान के कारण से भारतीय कृषि ने दृढ़ता और मजबूती का प्रदर्शन किया है। इससे भारत में आर्थिक सुधार और विकास की दिशा में तेज गति आई है।

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के आंकड़े आज बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 23 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन 329.7 मिलियन टन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.1 मिलियन टन अधिक है। वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2023 में प्रति वर्ष औसत खाद्यान्न उत्पादन 289 मिलियन टन था, जबकि वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2014 में यह 233 मिलियन टन तक ही अधिकतम सीमित रहा था। चावल, गेहूं, दालें, पोषक/मोटे अनाज और तिलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है ।

भारत आज दुनिया भर में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। यह फलों, सब्जियों, चाय, मछली, गन्ना, गेहूं, चावल, कपास और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। बागवानी उत्पादन 355.25 मिलियन टन था जो भारतीय बागवानी के लिए अब तक का सबसे अधिक (तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार) है। कृषि क्षेत्र जिसका वित्त वर्ष 2024 में भारत के जीवीए का 18 प्रतिशत हिस्सा होने का अनुमान है, जोकि देश की अर्थव्यवस्था का आधार है।

कृषि निर्यात में भारी तेजी, 4.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा

इसी तरह से कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना के बाद से 48,352 परियोजनाओं के लिए 35,262 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। एआईएफ के तहत स्वीकृत प्रमुख परियोजनाओं में 11,165 वेयरहाउस, 10,307 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, 10,948 कस्टम हायरिंग सेंटर, 2,420 सार्टिंग और ग्रेडिंग इकाइयां, 1,486 कोल्ड स्टोर परियोजनाएं, 169 परख इकाइयां और लगभग 11,857 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद की प्रबंधन परियोजनाएं और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियां शामिल हैं।

सरकार ने पहली बार देश में कृषि निर्यात नीति बनाई है। अत: ‘‘बेहतर प्रदर्शन कृषि निर्यात में भारी उछाल के रूप में भी दिखता है, जो वित्त वर्ष 2023 में 4.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को पार कर गया है। अवसरों और उचित नीति निर्धारण को देखते हुए भारत के किसानों ने शेष विश्व की खाद्य मांगों को पूरा करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। भविष्य में और भी बेहतर संभावनाएं हैं।’’ (INTERIM BUDGET 2024-2025, SPEECH OF NIRMALA SITHARAMAN MINISTER OF FINANCE)

देश में शत-प्रतिशत नीम लेपित यूरिया की शुरुआत रही सफल

किसानों को सस्ती कीमत पर खाद उपलब्ध कराने के लिए 10 साल में 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। सरकार ने 1.75 लाख से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं। अब तक लगभग 8,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जा चुके हैं। शत-प्रतिशत नीम लेपित यूरिया की शुरुआत देश में सफल रही है । पिछले 10 वर्षों में यूरिया उत्पादन जो 2014 में 225 लाख मीट्रिक टन था, यह बढ़कर 310 लाख मीट्रिक टन हो गया है। परंपरागत कृषि विकास योजना के शुभारंभ 2015-16 के बाद से इस साल जनवरी तक कुल 1980.88 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया। योजना में 37,364 क्लस्टर (प्रत्येक 20 हेक्टेयर) बनाए गए, 8.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (एलएसी सहित) कवर किया गया और 16.19 लाख किसानों को इसके माध्‍यम से सीधा लाभ पहुंचाया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी) के प्रति बूंद अधिक फसल घटक जैसी टिकाऊ कृषि विधाओं को अपनाने और कृषि को बदलने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर आज लगातार मोदी सरकार जोर दे रही है।

कृषि क्षेत्र में सहकारिता को मिलता बढ़ावा

सरकार कृषि क्षेत्र में सहकारिता को बढ़ावा दे रही है। इसलिए देश में पहली बार सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है। सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की गई है। जिन गांवों में सहकारी समितियां नहीं हैं, वहां 2 लाख समितियां स्थापित की जा रही हैं। वस्‍तुत: आज इस क्षेत्र की तीव्र वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण एवं विपणन, ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के काम में लगातार लगी हुई है।

इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी के लिए समय सीमा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

इसी प्रकार के अन्‍य कृषि संबंधी विकास के कार्य देश भर में केंद्र की सरकार के माध्‍यम से सफलता पूर्वक संचालित हो रहे हैं। वस्‍तुत: देश में कृषि की तरह ही अन्‍य क्षेत्र हैं, उनमें भी आज बहुत अच्‍छा कार्य केंद्र की भाजपा-मादी सरकार करती हुई दिखती है। ऐसे में जब उच्‍चतम न्‍यायालय की कोई टिप्‍पणी भारत के आर्थ‍िक विकास को लेकर आती है, तब निश्‍चित ही उसका महत्‍व और अधिक बढ़ जाता है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने आज ये सही ही कहा है कि “पूरी दुनिया भारत को पहचान रही है। जब भी हम देश से बाहर जाते हैं तो हमें महसूस होता है कि भारत कितनी मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ आगे बढ़ रहा है…और ये सब तथ्यों और आँकड़ों पर आधारित है। हम सभी को इस पर गर्व होना चाहिए।”
(लेखक फिल्‍म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के सदस्‍य एवं हिन्‍दुस्‍थान समाचार न्‍यूज एजेंसी में वरिष्‍ठ पत्रकार हैं)

(एएमएपी)