ट्विटर के नए वेरिफिकेशन प्रणाली के रंग अब साइट पर नजर आने लगे हैं। सरकारी अधिकारी और संगठन अब माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर उनके नाम के साथ ग्रे रंग के टिक के साथ दिखाई दे रहे हैं। पहले ही कुछ प्रोफाइलों पर इस तरह का बदलाव दिखाई दे चुका है। पीएम मोदी, यूएस राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक सहित कई राजनेताओं के ट्विटर प्रोफाइल पर ग्रे टिक नजर आ रहा है। हालांकि, अभी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है, कई राजनेताओं के प्रोफाइल अभी भी पुराने नीले रंग के टिक के साथ दिखाई दे रहे हैं।

मस्क ने की थी अलग-अलग रंग के मार्क की घोषणा

इससे पहले सीईओ एलन मस्क ने अपनी नई सत्यापन प्रणाली की घोषणा करने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट का सहारा लिया था। उन्होंने ट्वीट किया था, देरी के लिए खेद है, हम अस्थायी रूप से अगले सप्ताह शुक्रवार को सत्यापन लॉन्च कर रहे हैं। कंपनियों के लिए सुनहरा चेक, सरकार के लिए ग्रे चेक, व्यक्तियों के लिए नीला (सेलिब्रिटी या नहीं) और सभी सत्यापित खातों को मैन्युअल रूप से प्रमाणित किया जाएगा। उन्होंने विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों के लिए अलग-अलग रंगों के उपयोग के बारे में ट्वीट किया था, लेकिन हाल ही में इसका विवरण दिया था। सभी सत्यापित व्यक्तिगत यूजर्स के पास एक ही ब्लू टिक होगा।

चेतावनी के बावजूद शुरू हो गया था ‘ट्विटर ब्लू’ सब्सक्रिप्शन

एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म का ‘ट्विटर ब्लू’ सब्सक्रिप्शन ट्विटर के अपने ट्रस्ट और सुरक्षा कर्मचारियों की चेतावनी के बावजूद शुरू हो गया था। इसके तुरंत बाद कई सत्यापित खातों ने प्रसिद्ध हस्तियों या ब्रांडों का प्रतिरूपण करना शुरू कर दिया। फर्जीवाड़ा एक नकली निन्टेंडो खाते से शुरू हुआ, जिसमें प्रसिद्ध खेल चरित्र मारियो की छवि को ट्विटर पर बीच की उंगली उठाते हुए दिखाया गया। इसी बीच दवा कंपनी ‘एली लिली’ का एक और फर्जी ट्विटर अकाउंट सामने आया। इसने ट्वीट किया था कि इंसुलिन फ्री हो गया है।

कई विज्ञापनदाता हट गए थे

एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे कई विज्ञापनदाता हट गए। इसके बाद मस्क ने लागू होने के कुछ दिनों बाद ही 7.99 डॉलर की सेवा बंद कर दी। मस्क ने मामले को अपने हाथों में लेते हुए ट्वीट किया था कि कोई भी खाता जो किसी और को प्रतिरूपित करने की कोशिश करता है, तब तक अक्षम कर दिया जाएगा जब तक कि उसके उपयोगकर्ता ने इसे पैरोडी खाता घोषित नहीं किया हो। मौजूदा बहुरंगी सत्यापन प्रणाली को मस्क ने ‘दर्दनाक, लेकिन जरूरी’ बताया। (एएमएपी)