अमेरिका सहित दुनियाभर के विकसित देशों में मंहगाई के तीव्र दौर के बाद मंदी के संकेत दिखने लगे हैं। अमेरिका में मंदी खासतौर पर भारतीय मूल के आईटी पेशेवरों के लिए भारी पड़ रही है। बीते 90 दिनों में अमेरिका में आईटी क्षेत्र में दो लाख से ज्यादा लोगों की नौकिरयां गई हैं। इनमें  30 से 40 फीसदी, यानी करीब 60 से 80 हजार भारतीय मूल के कर्मचारी हैं।छंटनी करने वालों में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों से लेकर तमाम छोटे स्टार्टअप शामिल हैं। छंटनी के बाद बेरोजगार हुए हजारों भारतीय पेशेवर अब अमेरिका में बने रहने के लिए कामकाजी वीजा के तहत निर्धारित अवधि के भीतर नया रोजगार पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। अगर उन्हें नौकरी नहीं मिलती है, तो मजबूरन भारत लौटना पड़ेगा। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक नौकरियों से निकाले गए लोगों में से ज्यादातर भारतीय आईटी पेशेवर एच-1बी या एल1 वीजा पर वहां काम करने गए थे।

अमेजन में काम करने के लिए गीता (नाम परिवर्तित) महज तीन महीने पहले अमेरिका गई थीं। इस सप्ताह उन्हें बताया गया कि 20 मार्च उनके कार्यकाल का अंतिम दिन होगा। एच-1बी वीजा पर अमेरिका आई एक अन्य आईटी पेशेवर को माइक्रोसॉफ्ट ने 18 जनवरी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। वह कहती हैं कि यह बहुत खराब स्थिति है। जो लोग एच-1बी वीजा पर यहां आए हैं, उनके लिए तो हालात और भी मुश्किल हैं। क्योंकि उन्हें नौकरी जाने के 60 दिन के भीतर नया रोजगार खोजना होगा वीजा स्थानांतरित करवाना होगा, या फिर अमेरिका छोड़ना पड़ेगा।

एक महीने में 50 हजार बेरोजगार

अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बीते एक महीने में 50 हजार लोगों को नौकरियों से निकाला गया है। टेक कंपनियों में सबसे पहले स्नैपचैट ने 1000 लोगों को नौकरी से निकाला था। इसके बाद रॉबिनहुड ने 780 लोगों की छंटनी की। ट्विटर ने 3500 से ज्यादा लोगों से नौकरी से निकाला है। लिफ्ट ने 700, मेटा ने 11,000, अमेजन ने 18,000, सेल्सफोर्स ने 8,000, कॉइनबेस ने 950, माइक्रोसॉफ्ट ने 10,000, गूगल ने 12,000 और स्पॉटीफाई ने 400 लोगों को नौकरी से निकाला है। इसके अलावा तमाम छोटी कंपनियों ने भी छंटनी की है।

मंदी की शुरुआत हुई

अमेरिकी अर्थव्यस्था का सर्वेक्षण करने के आद अमेरिका के शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है कि अभी वहां और नौकरियां जाएंगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जिस तेजी से महंगाई बढ़ी और महंगाई को काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दरें बढ़ाईं, तभी यह तय हो गया था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ बढ़ेगी। ताजा सर्वे में ज्यादातर कारोबारियों ने कहा कि फेड रिजर्व के अनुमान के मुताबिक मंदी धीरे-धीरे नहीं आएगी, बल्कि इसकी शुरुआत हो चुकी है और यह अब कभी भी अचानक बड़े झटके के तौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा सकती है।

अभी और जाएंगी नौकरियां…

नेशनल एसोसिएशन फॉर बिजनेस इकोनॉमिक्स के जनवरी के सर्वेक्षण में पाया गया कि व्यवसाय मालिक जहां नई भर्तियों के लिए अक्तूबर में एक से दस के पैमाने पर भर्तियों को लेकर 8 अंक दे रहे थे, वे अब जनवरी में भर्तियों को लेकर माइनस 7 अंक दे रहे हैं। जाहिर, वे नई भर्तियां नहीं करना चाहते, बल्कि नौकरियों में कटौती का नजरिया लेकर चल रहे हैं।

व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर एक-दूसरे की मदद

नौकरी से निकाले गए लोगों ने कई व्हाट्सएप ग्रुप बना लिए हैं और इस मुश्किल हालात से निकलने के लिए एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। 800 बेरोजगार आईटी पेशेवर युवाओं का एक समूह चालने वाले राकेश (बदला हुआ नाम) कहते हैं, ग्रुप्स के जरिये एक-दूसरे को न केवल भावनात्मक मदद मिल रही है, बल्कि नौकरियां तलाशने में भी मदद मिल रही है। इसके अलावा वीजा के विकल्प, आव्रजन मामलों से जुड़े वकील भी इस समूह में हैं, जो स्वेच्छा से युवाओं की मदद कर रहे हैं। राकेश खुद भी एक आईटी पेशेवर हैं और हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था।

फोर्ड करेगी नौकरियों में कटौती

अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड ने पूरे यूरोप में 3,200 नौकरियों में कटौती करने और कुछ उत्पाद विकास कार्य को संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है।(एएमएपी)