प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर बैठक की ऑनलाइन मेजबानी करते हुए सभी पड़ोसी देशों से बेहतर सहयोग और समन्वय की अपील की है। पीएम मोदी ने कहा कि हम एससीओ को एक विस्तारित पड़ोस के रूप में नहीं, बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में देखते हैं। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान, और पर्यावरण संरक्षण एससीओ के लिए हमारे दृष्टिकोण के स्तंभ हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा, विकास, संप्रभुता का सम्मान हमारी अध्यक्षता की थीम है। पीएम मोदी ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना शी जिनपिंग और पाक पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में आतंकवाद को बढ़ावा देने और पनाह देने समेत विस्तारवाद की खुली आलोचना की और दो टूक कहा कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में इसका कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

पीएम ने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के अस्‍त्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो?

पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई उचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला- ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। दूसरा- SECURE यानी security, Economic development, Connectivity, Unity, Respect for sovereignty and territorial integrity and Environmental protection. “

पीएम ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या उग्रवादी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए।(एएमएपी)