कांग्रेसी उत्साहित
2019 का चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी भले सिर्फ तीन बार अमेठी आए लेकिन स्थानीय पार्टी नेताओं ने राहुल गांधी के दोबारा यहां से चुनाव लड़ने को लेकर अपनी उम्मीद हमेशा बनाए रखी। राहुल भी अमेठी से रिश्ता बनाए रखने के लिए अपने ढंग से सक्रिय रहे। उन्होंने कोरोना काल में यहां राहत सामग्री भेजी थी। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयान से स्थानीय कार्यकर्ता और भी उत्साहित नजर आ रहे हैं।

स्मृति ईरानी लगातार हैं सक्रिय
प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपने गृह जनपद वाराणसी पहुंचते ही अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ सकने की बात कहकर हलचल मचा दी। हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा अमेठी के कार्यकर्ता चाहते हैं। अमेठी लोकसभा सीट गांधी-नेहरू खानदान की परंपरागत सीट रही है। ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है जब यहां से गांधी नेहरू-परिवार के लोगों को शिकस्त झेलनी पड़ी। वर्ष 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में संजय गांधी को हार का स्वाद चखना पड़ा था तो 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था। वर्तमान में स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद हैं और अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए वह लगातार यहां सक्रिय भी हैं।
क्या है जमीनी हकीकत
क्या रहे हैं आंकड़े
स्मृति ईरानी 2014 के चुनाव में अमेठी में सक्रिय हुई। इस चुनाव में उन्होंने बेहद कम समय में पैठ बनाते हुए 3,00,748 वोट प्राप्त किए। राहुल गांधी ने चुनाव में हैट्रिक लगाई और उन्होंने 4,08,651 मत प्राप्त करते हुए 1,07,903 वोटों के अंतर से स्मृति ईरानी को शिकस्त दी थी। हालांकि चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी केंद्र में मंत्री बनी। उन्होंने अमेठी सीट नहीं छोड़ी और वह यहां लगातार डटी रहीं और अंतत: 2019 के चुनाव में राहुल को 55120 वोटों के अंतर से हरा दिया।(एएमएपी)



