(सावन पर विशेष)

हमीरपुर में मराठा काल में बने शिवमंदिर की महिमा बड़ी निराली है। यहां शिव लिंग अपनी धुरी में घूम जाता है। यह मंदिर भी कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित है जिसके अतीत में तमाम रोचक रहस्य छिपे हैं। खास मौके पर शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करने से मन को बड़ी शांति मिलती है। वहीं जलाभिषेक का जल पीने से टेंशन भी छूमंतर हो जाता है।

हमीरपुर शहर के बीच कलेक्ट्रेट में यह शिवमंदिर बना है। इस मंदिर का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। इसके आसपास अंग्रेजी हुकूमत में बनी ट्रेजरी और कैंटीन आज भी संचालित है। हालांकि कैंटीन पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। जबकि ट्रेजरी भवन का कायाकल्प भी कराया जा चुका है। मंदिर के महंत पंडित सुरेश कुमार मिश्रा ने बताया कि यह मंदिर मराठाकालीन है। यहां पहले एक चूना पत्थर से मठ बना था। जिससे लगा एक पीपल का पेड़ है। पांच फीट की ऊंचाई वाले इस मठ मंदिर में शिव लिंग और इसके ठीक सामने नौ इंच की श्रीराम भक्त हनुमान जी की अनोखी मुद्रा में एक मूर्ति विराजमान है।

किसी जमाने में मठ मंदिर के आसपास घना जंगल था। बड़ी-बड़ी झाड़ियां व बबूल के पेड़ थे। शाम होते ही इस मराठाकालीन मंदिर के आसपास से कोई भी निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। मराठाकालीन मंदिर का कायाकल्प होने के बाद इसके बगल में ही नर्मदेश्वर मंदिर का निर्माण दो दशक पहले हुआ था। नर्मदा के धावड़ी कुंड से एक शिव लिंग लाकर यहां प्राण-प्रतिष्ठा कराई गई है। सावन मास के सोमवार और नागपंचमी को यहां पूजा अर्चना के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी है।

अंग्रेज अफसर भी परिवार समेत मंदिर में लगाते थे हाजिरी

बुजुर्ग जगदीश प्रसाद, पंडित सिद्ध गोपाल अवस्थी व शिवाकांत त्रिपाठी ने बताया कि किसी जमाने में यह मंदिर वीरान था। अंग्रेजी हुकूमत में डर के मारे कोई भी यहां मंदिर नहीं आता था। उन्होंने बताया कि मंदिर के पीछे अंग्रेजी हुकूमत की ट्रेजरी थी। शुरू में अंग्रेज अफसर भी अपने परिवार के साथ मंदिर में आकर माथा टेकते थे। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति यदि बहुत टेंशन में हो तो इस मंदिर में शिवलिंग के सामने सिर्फ दो मिनट तक हाथ जोड़कर बैठ जाए तो टेंशन छूमंतर हो जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित सुरेश मिश्रा व सब्बल अवस्थी ने बताया कि यह नौ इंच का शिव लिंग मराठा कालीन है जो अपनी ही धुरी में घूम जाते है। इसके ठीक पीछे मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित है।

शिवमंदिर में मौनी बाबा ने भी कई सालों तक डाला था डेरा

सब्बल अवस्थी व अरविन्द शुक्ला समेत तमाम स्थानीय लोगों ने बताया कि कई दशक पहले इस मंदिर में एक मौनी बाबा ने डेरा जमाया था। वह कहा से आए थे किसी को भी पता नहीं चल सका। लेकिन उनके यहां रहने से वीरान मंदिर गुलजार हो गया था। बताया कि यह शिवलिंग केवल नौ इंच का है जो कई साल पहले हनुमान जी की पताली प्रतिमा के ठीक सामने स्थापित था लेकिन अब शिवलिंग को यहां से मंदिर में ही पूरब दिशा में मां पार्वती की प्रतिमा के सामने शिफ्ट कर दिया गया है। मंदिर में अद्भुत चमत्कार होते है। मौनी बाबा के बाद भगवानदीन पुजारी यहां रहे फिर सुरेश मिश्रा मंदिर के महंत बने। बताया कि मंदिर में रात में कोई भी पुजारी रह नहीं सकता।(एएमएपी)