अयोध्‍या में निर्माणाधीन राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर विधिवत अनुष्‍ठान किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को रामलला की अचल मूर्ति को आसन पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विराजित कराया गया। काशी के आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में पूजन प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है। रामलला के अचल विग्रह को अभी ढक कर रखा गया है। आवरण 20 जनवरी को हटाया जाएगा। वहीं, रामलला की मूर्ति स्थापित होने के बाद इसकी तस्वीरें आने का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार को रामलला की एक और तस्वीर जारी हुई, जिसमें उनके पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में रामलला को फूलों की माला पहनाई गई है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के चौथे दिन शुक्रवार को सुबह नौ बजे अरणी मंथन से अग्नि प्रकट की गई। अग्नि प्रकट के साथ चौथे दिन का अनुष्ठान शुरू हुआ। शुक्रवार से यज्ञ मंडप में हवन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। वेद मित्रों से आहुतियां डाली जाएगी। इसके पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन किया गया। पूजन के क्रम में ही द्वारपालों द्वारा सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुण्डपूजन, पञ्चभूसंस्कार होगा।

रामभक्तों में बढ़ता जा रहा उल्लास

रामनगरी भक्ति के सागर में डूबती-उतराती जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा की शुभ तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, रामभक्तों में उल्लास बढ़ता जा रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान भी चल रहे हैं। बुधवार को रामलला की अचल मूर्ति मंदिर में परिसर में पहुंची। यह वही रामलला हैं जो 23 जनवरी से नए मंदिर में दुनिया भर के भक्तों को दर्शन देंगे। रामलला की अचल मूर्ति की एक झलक पाने को लेकर अयोध्यावासी दिन भर बेताब और उत्साहित रहे है। अब जैसे-जैसे मूर्ति की तस्वीरें गर्भगृह से सामने आ रही हैं, वैसे-वैसे भक्तों में दर्शन की लालसा बढ़ रही है।

चयनित मूर्ति की विशेषताएं

गर्भगृह में विराजित की जाने वाली मूर्ति में कई तरह की खूबियां भी हैं। श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है, यह जल रोधी होती है। चंदन, रोली आदि लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी। पैर की अंगुली से ललाट तक रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है। चयनित मूर्ति का वजन करीब 150 से 200 किलो है। मूर्ति के ऊपर मुकुट व आभामंडल होगा। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखे बड़ी और ललाट भव्य है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर व धनुष होगा। मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलकेगी।

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इसलिए रामलला की बनाई गई बड़ी मूर्ति

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि विराजमान रामलला आकार में बहुत छोटे हैं, ऐसे में भक्तों को ठीक से भगवान के दर्शन नहीं हो पाते थे। भक्तों की भावना को देखते हुए एक बड़ी मूर्ति बनाने का निर्णय लिया गया, ताकि रामलला के मुख मंडल का दर्शन भक्त ठीक तरह से कर पाएं। अचल मूर्ति 51 इंच की है। इसे चार फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। इस तरह मूर्ति की कुल ऊंचाई करीब आठ फीट हो जाएगी। ऐसे में भक्त को सुलभ दर्शन प्राप्त हो सकेंगे।(एएमएपी)