जेल से बाहर आने के लिए 18-19 जुलाई तक इंतजार।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार, 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए कानून) के तहत दर्ज मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया। हालांकि ईडी के मामले में जमानत मिलने के बाद भी केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 25 जून को शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने केजरीवाल की याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया, जिससे इस सवाल की जांच की जा सके कि गिरफ्तारी की जरूरत या अनिवार्यता को पीएमएलए कानून की धारा 19 में एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना चाहिए या नहीं। ओपन कोर्ट में फैसले के अंश पढ़ते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि गिरफ्तारी के लिए “विश्वास करने के कारण” पीएमएलए कानून की धारा 19 के मापदंडों से मेल खाते हैं, जो ईडी अधिकारियों को गिरफ्तारी का अधिकार देता है।
जस्टिस खन्ना ने कहा, “हालांकि, ऐसा कहने के बाद हमने अतिरिक्त आधार उठाया, जो गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता से संबंधित है। हमें लगा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता के आधार को धारा 19 में पढ़ा जाना चाहिए, खासकर आनुपातिकता के सिद्धांत के मद्देनजर, हमने उन सवालों को बड़ी बेंच को भेज दिया।”
जस्टिस खन्ना ने कहा, “हमने यह भी माना है कि केवल पूछताछ से आपको गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं मिलती है। यह धारा 19 के तहत कोई आधार नहीं है।” हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई है पर कोर्ट ने सीएम पद से हटने का फैसला केजरीवाल पर छोड़ दिया। मामले को बड़ी बेंच को सौंपते हुए वर्तमान बेंच ने अब तक उनकी जेल में रहने की अवधि को देखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने का फैसला किया। बेंच ने स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत के सवाल को बड़ी बेंच द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
चूंकि हम मामले को बड़ी पीठ के पास भेज रहे हैं, “विश्वास करने के कारणों” पर हमारे निष्कर्षों के बावजूद, इस बात पर विचार करें कि क्या अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए, इस तथ्य को देखते हुए कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र है और अरविंद केजरीवाल ने 90 दिनों तक कारावास की सजा भुगती है। ऊपर संदर्भित प्रश्नों पर एक बड़ी पीठ द्वारा गहन विचार की आवश्यकता है। हम निर्देश देते हैं कि अरविंद केजरीवाल को 10 मई के आदेश द्वारा लगाए गए उन्हीं नियमों और शर्तों पर मामले के संबंध में अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।”
सर्वोच्च अदालत ने कहा, “हम जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, एक ऐसा पद, जो महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है। हमने आरोपों का उल्लेख किया है। हालांकि हम कोई निर्देश नहीं देते हैं, क्योंकि हमें संदेह है कि क्या कोई अदालत किसी निर्वाचित नेता को मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में पद छोड़ने या काम न करने का निर्देश दे सकती है, हम इस पर निर्णय लेने का काम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं। यदि उचित समझा जाए तो बड़ी पीठ प्रश्न तैयार कर सकती है और ऐसे मामलों में लगाई जा सकने वाली शर्तों को तय कर सकती है।”
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्णय में की गई टिप्पणियों को आरोपों के गुण-दोष पर निष्कर्ष के रूप में नहीं समझा जा सकता। नियमित जमानत के लिए आवेदन पर उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि बड़ी पीठ अंतरिम जमानत में संशोधन कर सकती है।
जश्न मानना शुरू किया ही था कि सन्नाटा पसर गया
न्यूज़ 18 डॉट कॉम की खबरों में कहा गया है कि सुबह से ही आम आदमी पार्टी के दफ्तर में पार्टी कार्यकर्ता इंतजार कर रहे थे। पार्टी नेता आपस में एक-दूसरे से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी ले रहे थे। तभी, सुबह 10.50 के आस-पास दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी के केस में जमानत मिलने की खबर आती है। इस खबर को आते ही समर्थकों ने जश्न शुरू कर दिया। लेकिन, कुछ ही देर के बाद अचानक से सन्नाटा पसर गया।
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने की खबर के बाद समर्थकों ने टीवी का आवाज तेज कर दिया। आप कार्यकर्ता आपस में एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। तभी अचानक से यह खबर मिली है कि अरविंद केजरीवाल को ईडी के केस में जमानत जरूर मिल गई है, लेकिन वह अभी भी जेल से बाहर नहीं आएंगे। समर्थकों को जानकारी दी गई कि क्योंकि सीबीआई ने भी अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में केस दर्ज किया है इस वजह से वह अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे। इस मामले की सुनवाई 18 जुलाई को होने वाली है। इसलिए अरविंद केजरीवाल को जेल से बाहर आने के लिए 18-19 जुलाई तक इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन, इतना तय है कि ईडी के केस में अंतरिम जमानत मिलना सीबीआई मामले से ज्यादा मुश्किल था। इसलिए आपलोग निराश न हों अब अरविंद केजरीवाल जेल से जरूर बाहर आएंगे।