फूलों की बंपर पैदावार से ग्रामीणों को हुआ अच्छा मुनाफा।
भीलवाड़ा जिले के गुरलां ग्राम समूचे प्रदेश में फूलों वाला गांव के नाम से जाना पहचाना जाने लगा है। गुरलां में यूं तो हर किस्म के फूलों की पैदावार होती है पर विशेष किस्म के गेंदे के फूलों की व्यापक स्तर पर पैदावार होने के कारण पूरा गांव इसी व्यवसाय में अग्रसर हो रहा है। पूरे प्रदेश भर में यहां के फूलों की मांग रहती है। नवरात्र व दीपावली पर तो हर बार बंपर पैदावार का यहां के लोग कारोबार कर अच्छा मुनाफा कमाते है। अकेले दीपावली पर्व पर यहां करीब दो करोड़ रुपये के फूलों के कारोबार होने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष कोरोना के कारण कमजोर होने से इस बार यहां के लोगों को ज्यादा कारोबार की उम्मीद थी पर अब तक बाजार भाव कम होने के कारण मुनाफा कम रहने की समस्या से यहां के लोग परेशान है। पर इस सप्ताह दीपावली की ग्राहकी बढ़ने से लोगों को अच्छे कारोबार की उम्मीद बंधी है। गुरलां के फूल व्यवसायी बताते है कि यहां पैदा होने वाले गेंदे के फूल अच्छी किस्म के होने के कारण यहां की मांग प्रदेश भर में ज्यादा रहती है। ये फूल लंबे समय तक खराब नहीं होते है।
कारोबारी बद्रीलाल माली ने बताया कि भीलवाड़ा राजसमंद राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 758 पर स्थित गुरलां कस्बा अभी दीपावली पर्व को लेकर फूलों की मांग के कारण कारोबार की दृष्टि से उत्कृष्ट स्थान पर है। यहां वर्ष पर्यंत हर वार तीज त्योहार पर पूजा अर्चना करने के काम में आने वाले कई किस्मों के फूल यहां पर बम्पर स्तर पर पैदा होते हैं। भीलवाड़ा जिले के साथ ही साथ राजस्थान व आसपास के अन्य राज्यों में भी गुरलां के फूलों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। यहां फूलों की किस्म उन्नत होने के कारण तथा यहां के फूलों के करीब पांच दिन तक काम में आने के कारण मांग बढ़ती जा रही है।
यहां के किसानों के लिए फूलों की खेती के लिए यहां राजमार्ग पर गुरलां कस्बे से बाहर रणजीत सागर नाम से विशाल तालाब बना हुआ हैं। जो इंद्रदेव की कृपा के साथ मातृकुंडिया बांध की नहर के पानी से हर वर्ष लबालब होकर छलक जाता हैं। जिससे यहां के किसानों को वर्षपर्यंत खेती के लिए समुचित पानी मिलता हैं। इस पानी से फूल व फल की खेती के साथ ही साथ रबी व खरीफ की फसलों की भी यहां बम्पर पैदावार होती हैं नतीजन यह कस्बा अन्य कस्बों से अधिक अच्छी पैदावार करता आया हैं। यहां के काश्तकारों के अनुसार अच्छी व उन्नत किस्म के फूलों के बीज मध्यप्रदेश के रतलाम व अजमेर के तीर्थराज पुष्कर से महंगे भाव में मंगवाकर उनका बीजारोपण कर पैदावार गुरलां में ली जाती हैं। जिसको नवरात्रि व दीपावली के साथ ही अन्य तीज त्योहारों पर खुदरा व थोक के भावों में बेचे जाते हैं।
करोबारी पिंटुलाल व श्यामलाल माली ने बताया कि शारदीय नवरात्रा व उसके बाद दीपावली के पर्व पर हर साल की तरह इस वर्ष भी फूलों की बम्पर पैदावार हुई हैं। खास बात ये हैं कि इन हजारे के फूल को गुरलां के सभी किसान बुआई करते हैं और त्याेहार के दौरान मजदूरों द्वारा फूलों को तुड़वाने व माला बनवाने का काम भी युद्धस्तर पर किया जा रहा हैं। प्राय़ हर घर में यह कारोबार होता दिख जाता है। माली परिवार के साथ अन्य मजदूरों द्वारा तैयार फूलों की ये मालाएं दीपावली पर भीलवाड़ा जिले के अलावा अजमेर, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, कांकरोली, नाथद्वारा के अलावा आसपास के राज्यों के व्यापारी भी यहां आकर ले जाते हैं।
फूलों का कारोबार करने वाले काश्तकारों का कहना है कि गतवर्ष भी यहां फूलों व उनसे बनी माला के भाव अच्छे थे। इस बार बंपर पैदावार होने से काश्तकारों को बहुत ज्यादा उम्मीद थी पर अभी तक गत वर्ष के मुकाबले भी भाव न आने से काश्तकार परेशान है। काश्तकारों की परेशानी यह हो रही है कि बंपर पैदावार होने से उनको फूलों की तुड़ाई तो करानी पड़ रही है पर भाव कम होने से मुनाफा कम हो रहा है। इस वर्ष गेंदे के फूलों की माला की कीमत महज 5 से 8 रुपये प्रति माला व 30 से 40 रुपये प्रति किलों फूलों के भाव होने के कारण किसानों में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा हैं। उनको उम्मीद है कि दो चार दिनों में दीपावली के कारण भावों में बढ़ोतरी हो सकती है। इसी उम्मीद में किसानों द्वारा फूल तोड़ने और माला बनाने का कार्य जारी हैं, की शायद दीपावली पर अच्छी कीमत मिल जाये ।
लक्ष्मण लाल माली ने बताया कि हजारे के साथ ही गुरलां में गुलाब की खेती भी बम्पर स्तर पर की जाती हैं। गुलाब के फूलों को भीलवाड़ा में कृषि मंडी, सुचना केंद्र चैराहा व सुबह की सब्जी मंडी जैसी जगहों पर ले जाकर 150 रुपये प्रति किलों के भाव से बेचे जाते हैं।
रतलाम निवासी फूलों के बीज का व्यवसाय करने वाले निखिल मेहता ने बताया कि पिछले 32 वर्षों से निरंतर फूलों की नई नई किस्में विदेशों से आयात कर वो गुरलां में बीज पहुंचाते है। उनके बीज न्यूजीलैंड, फ्रांस, थाईलैंड, इटली, कोरिया से आयात होता है। इस माल की सप्लाई हम पूरे भारत के अनेक राज्य महाराष्ट्र ,मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, जम्मू कश्मीर तक करते है। गेंदे में उच्च हाइब्रिड किस्म की नई नई प्रजाति हर वर्ष किसानों के लिए देते रहते हैं।