प्रदीप सिंह।
कहावत है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल। यूक्रेन और रूस के युद्ध में कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है यूक्रेन के साथ। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलिंस्की की अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों के साथ जो सहानुभूति है- दोस्ती है- समर्थन है- उसके कारण पूरी दुनिया एक तरह के खतरे के मुहाने पर खड़ी है। और अगर जेलिंस्की की चली होती तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया होता। जेलिंस्की की जल्दबाजी- नासमझी- अपरिपक्वता और मामले की गंभीरता को ना समझने की उनकी क्षमता- के कारण पूरी दुनिया संकट में पड़ने वाली थी।
जेलेंस्की ने क्या बताया
जैसा कि हम जानते हैं 15 और 16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी 20 देशों का शिखर सम्मेलन हो रहा था। जी-20 देशों के सभी बड़े नेता उस सम्मेलन में पहुंचे हुए थे। 15 नवंबर को ही रूस ने यूक्रेन पर 200 मिसाइलों से हमला किया जो कि काफी बड़ा हमला था। उस हमले में एक मिसाइल पोलैंड पर गिरी और दो लोग मारे गए। वह मिसाइल किसकी थी- सवाल इसका था। पूरी दुनिया तनाव में थी। जेलेंस्की ने अमेरिका और दूसरे देशों को बताया कि पोलैंड पर गिरी मिसाइल रूस की है। नाटो 30 देशों का सैनिक सहयोग का एक संगठन है जिसमें पोलैंड भी शामिल है। जेलेंस्की ने कहा कि पोलैंड पर हमला रूस ने किया है और रूस को इसकी सजा मिलनी चाहिए। इस हमले के खिलाफ रूस के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। जेलेंस्की ने कहा कि पोलैंड पर हमला एक तरह से नाटो की पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर हमला है और इसका जवाब दिया जाना चाहिए।
ऐसे पकड़ा गया झूठ

बात सुनने में बिल्कुल सही लग रही थी लेकिन तुरंत रूस ने इस बात का खंडन किया और कहा कि पोलैंड पर गिरी मिसाइल उनकी नहीं है। पर तब सवाल था कि सच कौन बोल रहा है। पोलैंड के राष्ट्रपति ने कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि मिसाइल किसकी है। आनन-फानन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन में एक बैठक बुलाई जिसमें जी 20 देशों के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए वहां मौजूद ज्यादातर नाटो देशों- फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, कनाडा के प्रमुख शामिल हुए। बैठक में इस पर विचार हुआ कि आगे का कदम क्या होना चाहिए। बैठक में यह सहमति बनी कि कोई भी कदम उठाने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पूरा मामला है क्या? इसकी सच्चाई का पता लगाया जाए। और 24 घंटे में सच्चाई का पता लगा लिया गया। अमेरिका ने कहा कि यह कार्रवाई रूस की नहीं हो सकती। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने जब यह सार्वजनिक बयान दिया तो रूस ने इसके लिए उनकी प्रशंसा की। पता यह चला कि रूस के हमले के जवाब में यूक्रेन ने जो कार्रवाई की, उसी में उसकी एक मिसाइल पोलैंड में जा गिरी थी। यानी जो मिसाइल पोलैंड में गिरी वह रूस की नहीं थी।
दुनिया तबाह करने पर तुला एक सिरफिरा
आप देखिए जेलेंस्की किस बात का फायदा उठा रहे थे। वह दो चीजों का फायदा उठा रहे थे। उनमें से पहली यह कि मिसाइल गिरी है पोलैंड में… और रूस ने यूक्रेन पर मिसाइल का हमला किया है। दूसरी बात- नाटो का जो संविधान है उसके अनुच्छेद 5 के अनुसार अगर कोई देश नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला करता है तो वह नाटो के सभी 30 सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा… और उसकी सामूहिक जवाबी कार्रवाई की जाएगी। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इसी पर खेल रहे थे। उनको लगा कि यह मौका है जब नाटो के सभी सदस्य देश रूस पर हमला कर दें। मान लीजिए, अगर ऐसा होता तो? अगर जेलेंस्की की बात को मान लिया जाता और नाटो देश जेलेंस्की की बात पर तात्कालिक रूप से प्रतिक्रिया करते तो?… तब तय था कि रूस अपने बचाव के लिए- अपने अस्तित्व को बचाने के लिए- परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर सकता था। ऐसे में दुनिया में परमाणु युद्ध और तीसरा विश्व युद्ध होने की आशंका थी। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की समझदारी, उनके धैर्य और उनकी दूरदर्शिता- इन तीन चीजों ने दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर ले जाने से रोक दिया। इसीलिए कहते हैं कि नादान की दोस्ती बड़ी खतरनाक होती है।
आगे क्या…?
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या हमने इस घटना से कोई सबक लिया है? इस घटना के बाद क्या हुआ है? इस घटना के बाद बहुत से देशों को लगने लगा है कि इस युद्ध को रोकने का उपाय किया जाना चाहिए। युद्धविराम का कोई रास्ता खोजा जाना चाहिए और बातचीत का कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए। इसी बीच अमेरिका के एक सीनियर आर्मी जनरल ने कहा है कि यूक्रेन में इतनी ताकत नहीं है कि वह रूस द्वारा कब्जा की गई अपनी जमीन को आसानी से छुड़ा सके। यह बहुत मुश्किल काम है। तो ऐसे में इस तरह का घटनाक्रम कभी भी दोबारा सामने आ सकता है। मान लीजिए गलती से अगर वह मिसाइल रूस की होती तो- भले ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया होता पर गलती से मिसाइल पोलैंड में आ गई होती- तब क्या होता? और जब तक रूस यूक्रेन युद्ध चलता रहेगा तब तक इस बात की आशंका हमेशा बनी रहेगी। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि यूक्रेन में युद्धविराम हो। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे दुनिया में आर्थिक संकट का दौर चल रहा है। लेकिन इस पर पहल करने को अभी तक कोई तैयार नहीं हुआ है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)



