उनकी याद में रेलवे ने शुरू की है हूल एक्सप्रेस
(आजादी विशेष)
1942 में आजादी के लिए जब क्रांतिकारी पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ अगस्त क्रांति छेड़े हुए थे तो बंगाल भी इससे अछूता नहीं था। बोलपुर में क्रांतिकारियों का नेतृत्व तारा पद कर रहे थे। उसी समय अंग्रेज अपने विस्तृत साम्राज्य को बचाने के लिए दुनिया भर में द्वितीय विश्व युद्ध लड़ रहे थे और इधर भारत में 1942-43 के दौरान घोर अकाल पड़ा था जिसकी वजह से भारतवासी खाने बगैर मर रहे थे। एक बार खाना खाकर दो-दो दिन तक देशवासियों को भूखा रहना पड़ता था। इसके बावजूद अंग्रेजों ने भारत के विभिन्न हिस्सों से अनाज वितरित कर बोलपुर रेलवे स्टेशन के जरिए दुनिया के विभिन्न देशों में मोर्चे पर तैनात अपने सिपाहियों के लिए भेजना शुरू कर दिया। एक तरफ भारतवासी मेहनत से अन्न उगाते थे और उसे अंग्रेज बर्बर और अत्याचारी तरीके से लूट कर अपने सिपाहियों को भेज रहे थे। देशवासियों की यह दशा क्रांतिकारी तारा पद गुइंन से देखी नहीं गई। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर बोलपुर रेलवे स्टेशन पर हमले की योजना बनाई।
29 अगस्त 1942 को पूरे बोलपुर क्षेत्र में एक सामान्य हड़ताल का आयोजन किया गया जो पूर्णतया सफल रहा। तारा पद के नेतृत्व में हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने रेलवे स्टेशन पर हमला बोल दिया और अंग्रेजों के लिए हो रही अनाज की ढुलाई को रोक दिया। कई क्रांतिकारी आसपास की सड़कों को जाम कर चुके थे जिसकी वजह से वहां मौजूद अंग्रेजी सिपाहियों को बाहर से मदद नहीं मिली। इसके बाद ग्रामीणों पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज शुरू हुआ जिसके बाद हमलावर सिपाहियों को पीटना शुरू कर दिया। इसकी सूचना मुख्यालय में पहुंची तो वहां से निहत्थे क्रांतिकारी पर बिना देरी किए फायरिंग के आदेश दे दिए गए। अंधाधुंध गोलियां चलने लगीं और सैकड़ों ग्रामीण घायल हो गए।
तारा पद ने देखा कि कई लोग मारे जाएंगे। इसके बाद गोली चलाने वाले अंग्रेजों से वह अकेले ही उलझ गए और इस दौरान उन्हें कई गोलियां मारी गईं। खून से लथपथ होकर वह गिर पड़े। इधर तारा पद को इस हालत में देखकर ग्रामीण और उग्र हो गए तथा स्टेशन पर तोड़फोड़ आगजनी शुरू कर दी जिसकी वजह से अनाजों को विदेश भेजने का काम रोक दिया गया। दूसरी ओर स्टेशन पर खून से लथपथ हालत में पड़े तारा पद ने अपना जीवन सुमन मातृभूमि के चरणों में समर्पित कर दिया था।
इस क्रांतिकारी और क्रांति की याद चिरस्थाई बनाए रखने के लिए बोलपुर स्टेशन परिसर में कांस्य धातु से एक स्मारक का निर्माण किया गया जिसका अनावरण लोकसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 29 अगस्त सन 2006 को किया था। इतना ही नहीं आजादी के इस आंदोलन में बलिदान हुए क्रांतिकारी तारा पद गुइंन व अन्य की याद में भारतीय रेलवे ने हूल एक्सप्रेस नामक रेलगाड़ी की भी शुरुआत की है जो प्रतिदिन हावड़ा जंक्शन से खुलकर बीरभूम जिले के दूसरे अनुमंडल सिउड़ी तक चलती है। इस क्रांतिकारी को इतिहास में ऐसा भुलाया गया है कि आज उनकी एक तस्वीर तक उपलब्ध नहीं है।(एएमएपी)