वर्ष 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की वापसी हुई तो यहां अजीज इमाम फिर से सांसद चुने गए। अगले साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही उमाकांत मिश्र ने सीट जीती। 1984 में उमाकांत मिश्र दूसरी बार सांसद बने। विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर में 1989 में जनता दल के युसूफ बेग यहां से सांसद चुने गए। फिर आया राममंदिर आंदोलन का दौर तो ये सीट 1991 में भाजपा के खाते में आ गई और वीरेंद्र सिंह सांसद बने। 1996 में सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी को यहां से उतारा और वह सांसद बनीं। दो साल बाद ही दोबारा चुनाव होने पर भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यह सीट सपा से छीन ली। एक साल बाद 1999 में सपा की फूलन देवी ने फिर जीत हासिल की। फिर 2002 में रामरति बिंद सांसद बने। 2004 के चुनाव में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा सांसद चुने गए। 2007 में रमेश दुबे और 2009 में सपा के बाल कुमार पटेल सांसद बने।
इसके बाद मोदी लहर में 2014 और 2019 में इस सीट पर अपना दल सोनेलाल की अनुप्रिया पटेल ने जीत का परचम लहराया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के गठबंधन के बाद भी भाजपा गठबंधन की अनुप्रिया पटेल को 5 लाख 91 हजार 564 वोट मिला। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी रामचरित्र निषाद को 3 लाख 59 हजार 556 मत और कांग्रेस के प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी को केवल 91 हजार 501 मत ही मिल पाया था। इस चुनाव में अनुप्रिया पटेल को 53.34 प्रतिशत मत मिला था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल को 4,36,536 मत कुल 42.32 फीसदी मत मिला था। दूसरे स्थान पर बसपा की समुद्रा बिंद को 2,17,457 लगभग 21.58 फीसदी मत मिला था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी रहे। ललितेश को 1,52,666 कुल 15.15 फीसदी मत मिला था।(एएमएपी)