एनसीपीसीआर की बड़ी कार्रवाई, 57 बच्चों को बाल श्रम से छुड़वाया।

आपका अख़बार ब्यूरो।
उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की भाजपा सरकार ने मीट कारोबार के लिए सख्‍त नियम बना दिए हैं, जिनका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। इसके बाद भी कई कारोबारी संस्‍था ऐसी हैं, जिन्‍हें योगी के नियम का पालन नहीं करना है, बल्‍कि बाल श्रम कानून का उल्‍लंघन करते हुए अनेक बच्‍चों से पशु कत्‍ल करवाना और उनकी मांस, मज्‍जा, खून आदि को अलग-अलग करवाने का काम लेना है। हद तो यह है कि दिव्‍यांगों से भी ये लोग पशु कत्‍ल करवाने एवं श्रम लेने में पीछे नहीं हैं।

ऐसे ही एक मामले में राष्‍ट्रीय बाल संरक्षण अयोग (एनसीपीसीआर) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की है। आयोग की टीम ने अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो के नेतृत्‍व में अचानक से छापा मारा और यूपी के गाजियाबाद जिले के मसूरी क्षेत्र में चल रहे  यासीन कुरेशी के इंटरनेशनल एग्रो फ़ूड में कई बच्‍चों को बाल श्रम करते हुए पकड़ा है। रेस्क्यू किए गए बच्‍चों की संख्‍या 57 बताई जा रही है।

इस संबंध में राष्‍ट्रीय बाल संरक्षण अयोग (एनसीपीसीआर) के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि आज उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद ज़िले के मसूरी इलाक़े में यासीन कुरेशी के इंटरनेशनल एग्रो फ़ूड के पशु क़त्लखाने पर एनसीपीसीआर के निर्देश पर उत्‍तरप्रदेश पुलिस के साथ की गयी संयुक्त छापामार कार्यवाही में 57 नाबालिगों (31 लड़कियाँ व 26 लड़कों इनमें दिव्यांग भी शामिल हैं) को रेस्क्यू किया गया। कार्यवाही कई घंटे जारी रही। इन सभी से वहाँ पशुओं को काटने का काम करवाया जा रहा था। उन्‍होंने बताया है कि बच्चों की उम्र के सत्यापन सहित अन्य प्रक्रिया पूर्ण होने पर संख्या बदल सकती है। मिशन मुक्ति की शिकायत पर कार्यवाही की गयी है।

कानूनगो ने बताया कि “बचाए गए 57 बच्चों में से तीन हिंदू समुदाय के हैं। उन्होंने कहा, “सभी बच्चों को फिलहाल आश्रय गृह में भेज दिया गया है। उनमें से कुछ बंगाल, बिहार और भारत के अन्य हिस्सों से हैं। उन्हें बूचड़खाने में अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। आयोग और सरकार सुनिश्चित करेगी कि अगर बच्चे अनाथ हैं तो उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाया जाए और अगर नहीं तो उन्हें उनके माता-पिता को सौंप दिया जाए।”

नाबालिग बच्चों के संबंध में प्रियंक कानूनगो का कहना रहा की अभी पूरी तरह सटीक संख्या बताया जाना सही नहीं होगा, जांच के बाद सही संख्या सामने आएगी। उन्होंने कहा है कि बचाए गए नाबालिगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के प्रयास जारी हैं, जिसमें चिकित्सा सहायता, परामर्श और पुनर्वास सेवाएँ शामिल हैं। बूचड़खाने के संचालन और नाबालिगों के शोषण के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की जानी अपेक्षित है ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में इस तरह के गंभीर उल्लंघनों की घटनाओं को रोका जा सके।

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दूसरी ओर एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद का इस मामले में कहना है, “नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शिकायत मिली थी कि गाजियाबाद के एक बूचड़खाने में पश्चिम बंगाल और बिहार के 40 बच्चों को अवैध रूप से काम पर लगाया जा रहा है। इस पर कार्रवाई करते हुए गाजियाबाद कमिश्नर ने एक टीम बनाई और आज सभी टीमों के साथ मिलकर डासना मसूरी स्थित एग्रो इंटरनेशनल फूड बूचड़खाने में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें 57 बच्चों को बचाया गया।”

वहीं, इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कई अवसरों पर कहना रहा है कि पहली बार डबल इंजन की सरकार 11 लाख गोवंश का संरक्षण कर रही है। तीन हजार करोड़ गोवंश के लिए बजट में दिया गया है। विपक्ष की चिंता गोवंश को लेकर  बूचड़खानों के बंद होने को लेकर हमेशा से सामने आती रही है, लेकिन हमारी प्राथमिकता में गोवंश का विकास है । हम गो पालन और गो सेवा भी करते हैं। भारत की कृषि व्यवस्था जब तक गो आधारित थी, तब तक देश धन्य धान्य से भरपूर था। आज यूपी की सरकार इसे लेकर गंभीर है। प्रदेश में जहां भी ऐसे मामले पाए जा रहे हैं, उन पर सख्‍त कार्रवाई यूपी की पुलिस कर रही है।

उल्‍लेखनीय है कि मंदिर या सब्जी बाजार के निकट मीट की दुकान ना होने के दिशानिर्देश समेत करीब 17 नियम यूपी सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए गए हैं।

मीट की दूकान सम्बन्धी नियम

सरकार का कहना है कि ये कोई नए नियम नहीं है बल्कि पहले की ही गाइडलाइंस है जिन्हें दोबारा जारी किया गया है। इन नियमों में प्रमुख तौर पर जिनका जिक्र किया जाता है, वह हैं –

मीट की दुकान किसी भी धार्मिक जगह से पचास मीटर के दायरे में नहीं होनी चाहिए।
सब्जी बाजार के निकट कोई मीट शॉप नहीं होनी चाहिए।
बूचड़खाने में मीट को ढकने के लिए पर्दे या कांच की खिड़कियों होनी चाहिए।
मीट शॉप में काम करने वालों के पास हेल्थ सर्टिफिकेट होना चाहिए।
शहरी क्षेत्रों में नगर नगम का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट होना चाहिए। इसके अलावा फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का एनओसी भी होना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत, सर्किल ऑफिस और फूड सेफ्टी विभाग से एनओसी होना चाहिए।
चाकू, छूरी या किसी भी प्रकार के औजार स्टील के बने होने चाहिए।
किसी बीमार, गर्भधारित पशु को नहीं काटा जाएगा।
बूचड़खाना परिसर की नियमित साफ-सफाई करनी होगी।
बूचड़खाने से मीट को सिर्फ फ्रीजर में रखकर ही ट्रांसपोर्ट किया जाए।
बूचड़खानों में गीज़र लगा होना चाहिए।