फुलझड़ियों से की जाएगी बाबा महाकाल की आरती।

मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले दिवाली मनेगी। गर्भगृह में अन्नकूट होगा। 56 भोग लगाए जाएंगे। महिलाएं भगवान महाकाल को अभ्यंग स्नान कराएंगी। भस्म आरती के साथ ही संध्या आरती में फुलझड़ियां जलाई जाएंगी। 25 अक्टूबर को ग्रहण होने से पूजन-अभिषेक नहीं होगा।मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप गुरू का कहना है कि 24 अक्टूबर को भस्म आरती में पुजारी देवेंद्र शर्मा, कमल पुजारी के मार्गदर्शन में अन्नकूट होगा। 23 अक्टूबर को नंदी हॉल, गणेश मंडपम् को फूलों से सजाया जाएगा। 25 अक्टूबर को ग्रहण होने से गर्भगृह में पूजन-अभिषेक नहीं होगा। भस्म आरती (Bhasma Aarti) के साथ दिन की आरती भी निर्धारित समय पर होगी। महाकालेश्वर को भोग में फल अर्पित किए जाएंगे। संध्या पांच बजे होने वाले पूजन का समय बदलेगा। इसे मोक्ष के बाद किया जाएगा।

बाबा महाकाल की फुलझड़ी से होगी आरती

दीपावली भी कार्तिक अमावस्या की जगह कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन तड़के चार बजे भस्म आरती में मनाई जाएगी। इस बार तिथि मतांतर के चलते 24 अक्टूबर को सुबह चतुर्दशी व शाम को अमावस्या तिथि है, जिसके चलते राजा और प्रजा एक ही दिन दीपावली मनाएंगे। तड़के 4 बजे भस्म आरती में भगवान महाकाल को केसर, चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद सोने चांदी के अभूषण तथा नवीन परिधान धारण कराकर दिव्य स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। फिर अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। दीपावली पर भस्म आरती में पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को चंदन तेल, उबटन लगाएंगी। पं. आशीष पुजारी के अनुसार इस बार दीपावली के साथ अभ्यंग स्नान का संयोग बन रहा है। अभ्यंग स्नान के अंतर्गत बाबा महाकाल को चंदन का तेल, चंदन का उबटन लगाया जाएगा। गर्म जल से स्नान करवाया जाएगा।

25 को नहीं होगा पूजन

25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण रहेगा। यह साल का आखिरी सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा। ऐसे में जहां दिवाली, नरक चतुर्दशी के दिन ही मनाई जाएगी वही दिवाली ओर गोवर्धन पूजा में एक दिन का गेप आएगा। यानी 24 अक्टूबर को दिवाली मनाने के पश्चात 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। शनिवार 30 अप्रैल को सूर्यग्रहण हुआ था, लेकिन वह भारत में दृश्य नहीं था। सूर्यग्रहण भारत में दृश्य होगा। ऐसे में महाकाल मंदिर में ग्रहणकाल के दौरान पूजा-अर्चना नहीं होगी। शुद्धिकरण के बाद ही बाबा को स्पर्श किया जा सकेगा। दर्शनार्थी दूर से ही दर्शन कर सकेंगे।