खोला बड़ा डेटा आपरेशन सेंटर।
चीन के स्टेट मीडिया ने यहां तक कहा है कि इस सेंटर से यहां डिजिटल सर्विस को रफ्तार मिलेगी। सरकारी कामकाज, आर्थिक प्रगति, सोशल गवर्नेंस, लोगों का जीवन स्तर, मार्केट सुपरविजन, वित्त, सीमा सुरक्षा, इकोलाजिकल एनवायरमेंट, सुरक्षा, आपातकालीन सेवा और मदद के अलावा कल्चरल और टूरिज्म को भी लाभ होगा। मगर मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे झूठा करार देते हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन सरकार शुरुआत से ही यहां के लोगों के साथ दोहरा रवैया अपनाती आई है। चीन की सरकार तिब्बत के लोगों की आजादी छीन लेना चाहती है और उनके ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाना चाहती है।
शिकंजा कड़ा करने की कोशिश
लोगों को नहीं इनकार करने का हक
ह्यूमन राइट्स वाचडाग ने कहा था कि तिब्बत के लोगों को ये अधिकार नहीं है कि वो इसके लिए इनकार कर सकें। इसी वर्ष अप्रैल में ल्हासा सभी छोटे बच्चों और उनके माता-पिता का डीएनए सैंपल लिया गया था। इससे पहले दिसंबर 2020 में तिब्बत के किंघाई प्रांत में भी सभी लड़कों का डीएनए सैंपल जमाया कराया गया था। (एएमएपी)



