भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग जिआओजियान ने इसको लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘चीन, रूस और भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संचार और सच्चे बहुपक्षवाद का बचाव करने और संयुक्त रूप से वैश्विक चुनौतियों का जवाब देकर दुनिया को एक सकारात्मक संकेत दे सकते हैं।’
चीन ने और क्या कहा?
चीनी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘चीन और रूस एक नए प्रकार के संबंधों को विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। जिसमें आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहयोग शामिल है। ये द्विपक्षीय संबंध किसी तीसरे पक्ष को टारगेट करने के लिए नहीं है और न ही किसी अन्य देश को ये प्रभावित करता है।’
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया था रूस का दौरा
पिछले महीने, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस का दौरा किया था। इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय मसलों को लेकर कई अहम बिंदुओं पर समझौता किया था। जिनपिंग और पुतिन ने मिलकर दोनों देशों के संबंधों को लेकर खाका तैयार किया। वहीं, मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई विदेश नीति के मसौदे को मंजूरी दे दी। इसमें भारत-चीन के साथ रूस ने मजबूत संबंध बनाने की बात कही है। रूस ने कूटनीतिक तौर पर भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने पर जोर दिया है।
42 पन्नों के दस्तावेज में चीन और भारत के साथ संबंधों का अलग-अलग जिक्र किया गया है। इस विदेश नीति में यूरेशियन महाद्वीप पर स्थित शक्ति और विकास के अनुकूल संप्रभु वैश्विक केंद्रों के साथ संबंधों और समन्वय को गहरा करने के महत्व पर जोर दिया।
शीत युद्ध के दौरान रूस और भारत करीब रहे
शीत युद्ध के दौरान भारत और रूस ने करीबी रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक संपर्क बनाए रखा। रूस और भारत दोनों ही इस गठबंधन को अद्वितीय और विशेषाधिकार प्राप्त बताते हैं। भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी पांच मुख्य स्तंभों – राजनीति, रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और स्पेस प्रोजेक्ट पर आधारित है। हाल ही में भारत और रूस ने अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई है।(एएमएपी)