#ModiKaSankalp | अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पुरे सनातन और विश्व के लिए है : सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज, श्री आनंदम धाम, वृंदावन . . . #ayodhya #ramyatra #cmyogi #akhileshyadav #swamiprasadmaurya #indiaalliance #pmmodi #loksabhaelection2024 #election2024… pic.twitter.com/ZconDB9uM8
— रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) January 10, 2024
बीजेपी को मिला एक और मुद्दा
उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा और अमन-चैन कायम करने के लिए गोली चलवाई थी। सरकार का यह कर्तव्य था जिसे सरकार ने निभाया था। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार विवादित बयानों से सुर्खियों में बने हुए हैं। रामचरित मानस और सनातन पर उनके कई विवादित बयान सामने आ चुके हैं। इन बयानों को लेकर हिन्दूवादी संगठन और बीजेपी समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराते हैं। अब कारसेवकों पर गोलीकांड को जायज ठहराकर उन्होंने बीजेपी को एक और मुद्दा दे दिया है।
कारसेवकों पर कब चली थी गोली
बता दें कि आज से करीब 33 साल पहले 1990 में अयोध्या जा रहे कारसेवकों पर गोली चली थी। उस समय यूपी में मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते कार सेवकों पर गोली चलवाने के आदेश का कई बार खुद भी बचाव किया था। पुलिस ने कारसेवकों पर गोली तब चलाई थी जब वे साधु-संतों की अगुवाई में अयोध्या कूच कर रहे थे। ‘रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे’ जैसे नारों के साथ कारसेवकों की भारी भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी। प्रशासन के निर्देश पर अयोध्या में कर्फ्यू लगा हुआ था। कारसेवकों और अन्य श्रद्धालुओं को अयोध्या जाने से पहले ही रोका जा रहा था। विवादित ढांचे के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। इसी दौरान कारसेवकों के एक जत्थे ने आगे बढ़ने की कोशिश की और पुलिस ने उन पर गोलियां चला दीं।
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याद किए जाते हैं ये दो दिन
कारसेवकों पर गोलीकांड को लेकर दो दिन हमेशा याद किए जाते हैं। पहली बार 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों पर गोली चली थी। दूसरी बार दो नवम्बर को हनुमान गढ़ी के पास तक पहुंच गए कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं। इन गोलीकांडों में कई कारसेवकों को जान गंवानी पड़ी थी। इस घटना के दो साल बाद छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था। कारसेवकों पर गोली कांड के 23 साल बाद साल 2013 के जुलाई महीने में मुलायम सिंह यादव ने एक बयान में गोली चलवाने पर अफसोस जाहिर करते हुए भी अपने फैसले का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें इसका अफसोस है लेकिन और कोई विकल्प नहीं था। (एएमएपी)