केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय में एक त्रिस्तरीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। ऐतिहासिक शांति समझौता से पहले राज्य में शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए असम सरकार, केंद्र सरकार और उल्फा के बीच कई दौर की बातचीत हुई। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अलावा उल्फा के 16 और सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन के 13 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह पूरे पूर्वोत्तर विशेष रूप से असम के लिए शांति के इस नये युग की शुरुआत होने जा रही है। मैं आज उल्फा के सभी प्रतिनिधियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपने जो भरोसा भारत सरकार, गृह मंत्रालय पर रखा है, आपके मांगे बिना ही सब कुछ पूरा करने के लिए समयबद्ध तरीके से एक कार्यक्रम बनाया जाएगा। हम गृह मंत्रालय के तहत एक समिति बनाएंगे, जो असम सरकार के साथ इस समझौते को पूरा करने के लिए काम करेगी।

शाह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। लंबे समय तक असम और पूरे उत्तर-पूर्व ने हिंसा झेली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद मुक्त उत्तर-पूर्व भारत की कल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा है। भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी गुटों की बात को यहीं समाप्त करने में हमें सफलता मिल गई है। ये असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है।

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1979 में हुआ था गठन

अलगाववादी संगठन उल्फा का गठन अप्रैल 1979 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से आए बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के खिलाफ आंदोलन के बाद हुआ था। फरवरी 2011 में यह दो समूहों में विभाजित हो गया था और अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट ने हिंसा छोड़ दी थी। यह गुट बिना शर्त सरकार के साथ बातचीत के लिए सहमत है। दूसरे उल्फा गुट का नेतृत्व करने वाले परेश बरुआ बातचीत के खिलाफ हैं। वार्ता समर्थक गुट ने असम के मूल निवासियों की भूमि के अधिकार समेत उनकी पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के लिए सुधारों की मांग की है।(एएमएपी)